नई पीढ़ी को नशापान से बचाने हुक्का-बारों पर हो कड़ी कार्रवाई
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराब बंदी के लिए सरकार द्वारा गठित की गई सामाजिक संगठनों की बैठक में शराब बंदी के लिए रणनीति और इस दिशा में आगे बढऩे तथा इस कदम से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। नवा रायपुर के वाणिज्यक कर भवन में आयोजित इस बैठक में पूर्ण शराबंदी को लेकर जन चेतना अभियान और नशाबंदी अभियान सहित विभिन्न मुद्दों पर सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी राय और विचार रखे।

सभी समाजिक प्रतिनिधियों ने पूर्ण शराब बंदी पर सहमति जताई और कहा कि शराब बंदी एकाएक लागू नहीं की जानी चाहिए। बैठक में शराब बंदी हेतु सुझाव देने के लिए गठित समितियों के विभिन्न राज्यों में अपनायी गई नीतियों और इसके प्रभावों के अध्ययन के लिए भ्रमण पर जाने के लिए सहमति प्रदान की गई। शराब बंदी के लिए सामाजिक संगठनों की गठित समिति की प्रथम बैठक में समाज प्रमुखों ने कहा कि जन स्वास्थ्य और लोगों की सामाजिक-आर्थिक तथा पारिवारिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पूर्ण शराब बंदी जरूरी है। लेकिन एकाएक शराब बंदी लागू नहीं की जानी चाहिए। इससे शराब के आदी लोगों को इससे स्वास्थ्यगत कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। बैठक में विभिन्न समाज प्रमुखों में अर्जुन हिरवानी, शालिक राम वर्मा, ललित बघेल, रमेश यदु, विनय तिवारी, एलएल कोसले, भारत सिंह, राजेन्द्रनाथ पटेल, जसबीर सिंह, राजेश वासवानी, पंकज जसवानी, कर्तव्य अग्रवाल, अनुराग अग्रवाल, वैष्णव क्षत्री, ओमप्रकाश मानिकपुरी, रामअवतार सिंह, हाजीशेख नाजिम्मुदीन, आनंद निषाद, किरण सिन्हा तथा अपर आयुक्त राकेश मंडावी, रायसिंह ठाकुर, तीनों समितियों के नोडल अधिकारी राजीव कुमार झा सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

नशीली दवाईयों, गुटखा, तम्बाखू पर लगे रोक

अवैध और जहरीली शराब के सेवन से उन्हें जान तक गवांनी पड़ सकती है। इसलिए सभी पहलुओं पर विचार के बाद ही चरण बद्ध ढंग से शराब बंदी की पहल की जानी चाहिए। सामाजिक प्रतिनिधियों ने कहा कि आज कल युवा पीढ़ी में नशा एक फैशन बनते जा रहे है। नशे के रूप में युवा दवाईयों तथा अन्य साधन जैसे गुटखा, तम्बाखू का उपयोग कर रहे हैं, इस पर कड़ाई से रोक लगाए जाने की जरूरत है।

जहां शराबबंदी कर हटाई गई उन राज्यों का करेंगे अध्ययन

सामाजिक संगठनों की बैठक में देश के ऐसे राज्य जहां शराब पूर्ण रूप से बंदी है तथा ऐसे राज्य जहां पूर्ण शराब बंदी के बाद इसे पुन: हटाया गया। इसके पीछे के कारणों और तथ्यों के विशलेषण पर भी जोर दिया गया। उल्लेखनीय है कि राज्य में पूर्ण शराब बंदी की दिशा में आगे बढऩे के लिए समाज प्रमुखों, राजनीतिक और प्रशासनिक समिति गठित की गई है। इन समीतियों के सदस्यों को शराब बंदी करने वाले राज्यों और ऐसे राज्य जहां शराब बंदी लागू थी लेकिन फिर शराब बंदी हटा ली गई उन राज्यों में जाकर इन सबके पीछे के कारणों और प्रभावों के अध्ययन की जिम्मेदारी दी गई है।

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