रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने प्रदेश के वनवासियों को बड़ी सौगात दी। राज्य सरकार द्वारा अब तक सत्रह लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है, जिसके चलते वनवासियों को प्रतिवर्ष लगभग 502 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हो रही है। इसका लाभ प्रदेश के 13 लाख से अधिक गरीब एवं आदिवासी लघु वनोपज संग्राहकों को मिल रहा है। साथ ही राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या को सात से बढ़ाकर 52 कर दिया है।

इसके अलावा 17 मुख्य प्रजातियों के लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी वृद्धि की गई है। बताते चलें कि साल 2018 तक प्रदेश में जहां केवल सात लघु वनोपज की ही समर्थन मूल्य पर खरीदी होती थी। राज्य सरकार के इन निर्णयों से वनांचल के वनवासियों में खुशियां ही खुशियां बिखेर गई हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वनमंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में आदिवासी-वनवासी लघु वनोपज संग्राहकों के हित में अनेक कल्याणकारी योजनाओं का कुशल संचालन किया जा रहा है। इसके तहत वनवासियों को लघु वनोपजों के संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण तथा विपणन आदि के माध्यम से अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए हर आवश्यक पहल की जा रही है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा अपने वादों को पूरा करते हुए पहले ही साल में 52 लघु वनोपज प्रजातियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू कर दी गई है।

साथ ही साथ इन लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी वृद्धि की गई है। इनमें 17 मुख्य प्रजातियों के लघु वनोपजों में मूल्य वृद्धि से वनवासियों को हर वर्ष 501 करोड़ 70 लाख रुपए की अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है। राज्य लघु वनोपज संघ से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2018 में तेंदूपत्ता की संग्रहण दर को 2500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 हजार रुपए प्रति मानक बोरा कर दिया गया। इससे पहले वर्ष 2019 में ही 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को 225 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी हुई।

इसी तरह महुआ फूल का वर्ष 2018 में 17 रुपए प्रति किलोग्राम के दर को बढ़ाकर 30 रुपए किया गया। इससे वनवासियों को 104 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी हुई। वर्ष 2018 में अन्य लघु वनोपजों इमली (बीज सहित) प्रति किलोग्राम 25 रुपए से बढ़ाकर 36 रुपए करने पर 55 करोड़ रुपए, महुआ बीज को प्रति किलोग्राम 22 रुपए से बढ़ाकर 29 रुपए करने पर 35 करोड़ रुपए और चिरौंजी गुठली प्रतिकिलो ग्राम 93 रुपए से बढ़ाकर 120 रुपए करने पर 27 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी वनवासियों को हो रही है।

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