रायपुर। निलंबित एडीजी जीपी सिंह ने पुलिस की ओर से दर्ज की गई एफआईआर को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की है। उनकी दो याचिकाओं पर गुरुवार को अदालत में आखिरी सुनवाई होने जा रही है। इस मामले में शासन ने अपने जवाब में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण को तथ्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि आईपीएस जीपी सिंह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। आईपीएस जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में अलग-अलग दो याचिकाएं दायर की हैं।

जीपी सिंह के अधिवक्ता आशुतोष पांडेय की ओर से दायर इन याचिकाओं में रायपुर में दर्ज राजद्रोह के साथ ही भिलाई में भयादोहन के मामले में की गई एफआईआर को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि साल 2016 में की गई शिकायत को आधार बनाकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आशुतोष ने कोर्ट को बताया कि किसी भी लोकसेवक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने से पहले कानूनी राय लेने के साथ ही नियुक्ति कर्ता अधिकारी से अनुमति लेनी जरूरी है। मगर, जीपी सिंह के खिलाफ अपराध दर्ज करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति तक नहीं ली गई है।

उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने व्यापारी को झूठी कार्रवाई का डर दिखाकर 20 लाख रुपए उगाही की थी। पांच साल पुरानी शिकायत पर उन्हें राज्य शासन के इशारे पर फंसाया गया है। याचिका में उन्होंने एफआईआर निरस्त करने की मांग की है। इसके अलावा अंतरिम राहत के तौर पर पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। इसी तरह उन्होंने रायपुर में दर्ज राजद्रोह के मामले को भी चुनौती देते हुए एफआईआर रद्द करने की मांग की है। मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। शासन ने अपने जवाब में कहा था कि उनके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की गई है।

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