धरसींवा (raipur)। सोशल मीडिया का आज दबदबा है, पर भी रेडियो जनसंचार का सशक्त माध्यम बना हुआ है। इसकी प्रासंगिकता आज भी बरकरार है। ऐसे में रेडियो ने अपना स्वरूप बदला है और शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक अपनी पकड़ बनाए हुए है। अगर एक लाइन में कहें तो बदलाव के इस दौर में रेडियो आज भी जनसंचार का सशक्त माध्यम है। यह बातें कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कम्युनिटी रेडियो स्टेशन की कार्यक्रम अधिकारी सुश्री बॉबी ने कहीं। वे पण्डित श्यामाचरण शुक्ल महाविद्यालय धरसींवा (Pandit Shyamacharan Shukla Mahavidyalaya Dharsiwa) के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित 11 दिवसीय मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम के नौवें दिन विद्यार्थियों को संबोधित कर रहीं थीं।

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (Kushabhau Thackeray University of Journalism and Mass Communication) के कम्युनिटी रेडियो स्टेशन रेडियो संवाद (90.8 एफएम) की कार्यक्रम अधिकारी सुश्री बॉबी ने रेडियो एवं टीवी पत्रकारिता पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अखबार, रेडियो तथा टीवी पर समाचारों के प्रस्तुतिकरण में होने वाले अंतर के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया। होता है। उन्होंने टेलीविजन समाचारों की बारीकियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज के युवा रेडियो से दूर होते जा रहे हैं, जबकि यह जनसंचार का एक सशक्त माध्यम है।

रेडियो आधुनिक पीढ़ी के साथ कदमताल कर रहा है। तमाम तरह के एफएम चैनल आज शहरों में चल रहे हैं और लोग उन्हें सुन भी रहे हैं। चार पहिया वाहन निर्माता कंपनियों ने रेडियो की उपयोगिता को देखते हुए ही वाहनों में एफएम की सुविधा दी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी रेडियो अपनी पकड़ बनाए हुए है। रेडियो पर प्रसारित होने वाला ‘युववाणी” एवं ‘बिंदिया” जैसे युवा केन्द्रित कार्यक्रम इसके उदाहरण हैं। यह कार्यक्रम न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि ज्ञानवर्धक भी हैं।

कार्यक्रम के दौरान पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों ने रेडियो एवं टीवी पत्रकारिता के बारे में अनेक रोचक प्रश्न भी पूछे, जिनके जवाब भी उसी रोचकता के साथ मुख्य वक्ता ने दिए। पाठ्यक्रम के संयोजक डॉ. सीएल साहू ने कार्यक्रम का संचालन व आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापकगण व प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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