रायपुर। राजस्व विभाग के नगरीय प्रशासन विभाग ने रायपुर सहित राज्य के छोटे-बड़े निकायों में प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली के लिए प्राइवेट कंपनी को जिम्मेदारी देने के लिए टेंडर जारी कर दिया है। ठेका लेने के लिए इच्छुक कंपनियां 8 दिसंबर तक टेंडर सबमिट कर सकती हैं। उसके बाद किसी का टेंडर स्वीकार नहीं किया जाएगा। बताते चलें कि निगम के दायरे में करीब 3.08 लाख मकान हैं, जिसमें से दो लाख 46 हजार मकानों से प्रॉपर्टी टैक्स मिल रहा है। बाकी मकानों से भी टैक्स प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में सिर्फ 50 हजार मकानों से ही टैक्स नहीं मिलने की वजह से निजी एजेंसी को काम में रखकर पैसे देना बर्बादी है।

बताते चलें कि इससे पहले रायपुर नगर निगम प्रशासन एक बार पहले भी नगरीय प्रशासन विभाग के इस प्रस्ताव को खारिज कर चुका है। निगम इसे फिजूल खर्ची मानता है। रायपुर नगर निगम प्रशासन का तर्क है कि यहां लोग खुद ही प्रॉपर्टी टैक्स भरते हैं। निगम का राजस्व अमला इसके लिए सक्षम है और यह साल दर साल राजस्व में हो रही बढ़ोतरी के रूप में दिख भी रहा है। ऐसे में जब निगम टैक्स वसूली में सक्षम है तो प्राइवेट एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपना फिजूल खर्ची होगी।

अनावश्यक ही एजेंसी को करोड़ों बतौर कमीशन देना होगा। इसी आधार पर पिछले प्रस्ताव को खारिज किया गया था। इसके बाद भी नगरीय निकाय पिछले कुछ महीनों से लगातार टेंडर जारी कर रहा है। टेंडर में एक भी कंपनी ने हिस्सा नहीं लिया। इस वजह से अब 27 नवंबर 2021 को नया टेंडर निकाल दिया गया है।

नगर निगम के राजस्व विभाग ने करीब सालभर पहले एमआईसी में इस संबंध में प्रस्ताव लाया था। एमआईसी के सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया था। सभी का कहना था इस सिस्टम की रायपुर में काेई जरूरत नहीं है। प्रदेश के अन्य निकायों की तुलना में राजस्व के मामले में रायपुर बेहतर है। अपने ज्यादातर खर्चों के लिए निगम को शासन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। निगम को जितना संपत्तिकर व अन्य मदों से राजस्व प्राप्त होता है, उसी से जरूरी सभी खर्चे पूरे हो रहे हैं। उसके बाद प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया था।

महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि हर साल संपत्तिकर में 10 फीसदी की वृद्धि हो रही है। कुल राजस्व भी पिछले साल 229.50 करोड़ वसूला गया था। यह 2019-20 की तुलना में आठ करोड़ से अधिक है। इसलिए निजी एजेंसियों की जरूरत ही नहीं है।

By admin