ethanol Prossing unit

दुर्ग। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी दूर दृष्टि का परिचय देते हुए, राज्य को भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। राज्य में इंधन को लेकर कोई संकट ना आए, इसके लिए वैकल्पिक ईंधन के रूप में एथेनॉल को देखा जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र से धान से बायोएथेनॉल निर्माण की अनुमति भी मांगी है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि यदि केंद्र सरकार अनुमति दे तो राज्य सरकार सरप्लस धान का उपयोग एथेनॉल बनाने में कर सकेगी।

वर्तमान में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ‘‘फ्लेक्स फ्यूल’’ इंजन पर चर्चा की है। इस इंजन में आप शत-प्रतिशत पेट्रोल या शत-प्रतिशत बायोएथेनॉल का प्रयोग कर सकते हैं परंतु जब छत्तीसगढ़ के दृष्टिकोण से हम इस चर्चा को देखते हैं तो छत्तीसगढ़ में पहले से ही देश के सबसे बड़े एथेनॉल प्लांट स्थापना के लिए पीपीपी मॉडल पर आधारित एमओयू किया जा चुका है। यह अनुबंध भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने कवर्धा और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी लिमिटेड की सहायक इकाई एनकेजे बायोफील्ड के बीच 30 साल के लिए किया गया है।

छत्तीसगढ़ की जनता को कैसे पहुंचेगा लाभ
यदि केंद्र सरकार टू व्हीलर ,थ्री व्हीलर और फोर व्हीलर सभी गाड़ियों में बायोफ्लेक्स इंजन को अनिवार्य करती है तो छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्यों में से एक होगा जो फ्यूचर प्रूफ होगा। छत्तीसगढ़ जिसे हम ‘‘धान का कटोरा’’ के नाम से जानते हैं, यहां के अधिशेष धान के लिए हम यहीं पर मार्केट उपलब्ध करा कर इसे एथेनॉल इंधन में परिवर्तित कर सकते हैं, इससे हमारे किसानों को भी एक अतिरिक्त बाजार उपलब्ध होगा। धान के अलावा यदि किसान किसी अन्य फसल जैसे गन्ना का उत्पादन भी लेता है, उसके लिए भी एथेनॉल संयंत्र विकल्प का काम करेगा।

छत्तीसगढ़ के युवाओं को मिलेंगे रोजगार के अवसर
प्लांट के बनने से कई इंजीनियर सहित अन्य प्रकार की दक्षता रखने वाले युवाओं को प्लांट में रोजगार में प्राप्त होगा। इन सब बातों में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की जनता के हित के लिए भविष्य निर्माण का कार्य कर रही है। सरकार पर्यावरण में किसी एक इंधन या खनिज पर निर्भर नहीं है बल्कि वैकल्पिक रास्ते तलाश रही है ताकि छत्तीसगढ़ का आने वाला भविष्य बेहतर और सुनहरा हो।

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