Dr. Maheshchandra Sharma reached Indira Gandhi University of Arts and Culture

भिलाई। इस्पात नगरी भिलाई के साहित्य-संस्कृतिविद् डा.महेशचन्द्र शर्मा ने इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में विशेष आमन्त्रित विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया। इस मौके पर विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम निर्देशन और शोधकर्ताओं का मार्गदर्शन करने के साथ डा.शर्मा ने कुलपति पद्मश्री डॉ. ममता चन्द्राकर को अपनी पुस्तके भेंट कीं ।

बता दें कि साहित्य-संस्कृतिविद् डॉ.महेशचन्द्र शर्मा को महाविद्यालयों के सफल आचार्य एवं प्राचार्य के रूप में लम्बा अनुभव है। डा.शर्मा कई विश्वविद्यालयों के संस्कृत अध्ययन मण्डलों के अध्यक्ष एव विशेष आमन्त्रित सदस्य भी रहे हैं। खैरागढ़ यूनिवर्सिटी की इस बैठक में भी उन्होंने संस्कृत की बीए , एमए और रंगमंच समबन्धित बीपीए (बैचलर आफ़ पर्फ़ार्मिंग आर्ट्स) तक प्रदर्शनात्मक कलायें आदि के पाठ्यक्रमों के संशोधनों के लिए  महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये।

बैठक के पश्चात् डॉ.महेशचन्द्र शर्मा ने अनौपचारिक रूप से उपस्थित हाल ही में पीएचडी प्राप्त और डॉक्टर आफ़ फ़िलोसोफ़ी उपाधि के लिये कार्यरत शोध छात्रों की जिज्ञासाओं के समाधान किया। शोधार्थियों से संवाद करतेहुए डा.शर्मा ने संस्कृत के वेद-शास्त्रों और महाकाव्यों में वर्णित शिक्षाओं को  वर्तमान सन्दर्भों में भी विशेष उपयोगी बताया। लोकसेवा आयोग परीक्षा में संस्कृत को विशेष सहायक बताया। डा.शर्मा ने बताया के नैतिकता परक संस्कृत विषय रोज़गार मूलक भी है।

बैठक के बाद कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री डाॅ.ममता मोक्षदा चन्द्राकर से विशेष मुलाक़ात की। इस मौके पर डा.शर्मा ने अपनी स्वरचित –संस्कृति के चार सोपान,छत्तीसगढ़ में संस्कृत, धर्म और राजनीति, प्रेरणा प्रदीप, गागर में सागर, साहित्य और समाज तथा सटीक शुकनाशोपदेश आदि पुस्तकें ग्रन्थालय,प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों हेतु कुलपति डा.ममता चन्द्राकर को सौंपी। पुस्तकें भेंट करते समय संस्कृतविभागाध्यक्षा डा.मृदुला शुक्ल एवं संस्कृत प्राध्यापिका डा. पूर्णिमा केलकर आदि भी उपस्थित थे।

डा.शर्मा की दस आईएसबीएन पुस्तकें दिल्ली और रायपुर से प्रायः शासकीय संस्थाओं से प्रायोजित-प्रकाशित है। उनमें भारतीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) नयी दिल्ली, यूजीसी नयी दिल्ली, भारती ऐतिहासिक अनुसन्धान परिषद्  (आईसीएचआर) नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, रायपुर एवं छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डल, छत्त्सगढ़ शासन रायपुर आदि प्रमुख हैं। पीएचडी और डीलिट शोधप्रबन्धों के साथ ये पुस्तकें पाठ्यपुस्तकों, सन्दर्भग्रन्थों और सहायक ग्रन्थों के रूप में लोकप्रिय हैं।

डा.शर्मा के देश -विदेश के भ्रमण और उनके चार- पांच दशक के साहित्य -संस्कृति के पठन – पाठन और अनुसन्धानों का लाभ उनकी इन पुस्तकों के पाठक उठारहे हैं।विश्वविद्यालय ने उनकी कृतियों की मुक्तकण्ठ से सराहना करते हुए डा.शर्मा को धन्यवाद दिया है। उल्लेखनीय है कि पद्मश्री मोक्षदा ममता चन्द्राकर के आकाशवाणी रायपुर केन्द्र निदेशक रहते हुए डा.शर्मा के चिन्तन, धर्मग्रन्थों से पाठ, संस्कृत पत्रिका कार्यक्रम विविधा अनेक विषयों पर वार्तायें और उनके साक्षात्कार रेडियो श्रोताओं को सुलभ हो सके।

By admin