रायपुर। स्कूली बच्चों में दक्षता बढ़ाने छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विशेष पहल की जा रही है। इसके तहत स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा आठवीं तक के बच्चों को अब बुनियादी शिक्षा, भाषा व गणित में पारंगत बनाया जाएगा।  स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बुनियादी शिक्षा और गणित के लिए नये साल से विशेष अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान पूरे सौ दिनों तक चलेगा।

प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने  सभी जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य डाईट, जिला मिशन समन्वयक समग्र शिक्षा को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देश में अभियान के तहत 14 सप्ताह के लिए भाषा और गणित की गतिविधियां सुझाई गई हैं। यह गतिविधियां सुझाव के रूप में हैं। इन बिन्दुओं को स्थानीय स्तर पर कैसे सिखाया जाना है, इसके लिए सभी जिले एवं विकासखण्ड अपने-अपने स्तर पर भाषा और गणित संबंधी प्रोफेशनल लर्निंग कम्यूनिटी सामग्री तैयार करेंगे।

बता दें कि कोरोना काल में छत्तीसगढ़ सरकार ने पढ़ई तुंहर दुआर के नाम से नवाचार किया ताकि स्कूली बच्चों की पढ़ाई न रुके। इससे बच्चों का लर्निंग लॉस को काफी हद तक कम किया गया। ग्रामीण स्तर पर इसे लेकर काफी उत्साह दिखा। इसके बाद पढ़ई तुंहर दुआर-2.0 के अंतर्गत पढ़ना, लिखना, गणित, विज्ञान के प्रयोग एवं समूह के प्रोजेक्ट बनाने का अभ्यास करवाते हुए संकुल से लेकर जिला स्तर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इससे राज्य के स्कूलों में अच्छा माहौल बना। इसे आगे और भी आकर्षक बनाने के लिए नया कार्यक्रम तैयार किया गया है।

ऐसी होगी अभियान की रूपरेखा
जारी निर्देश के अनुसार नए अभियान के तहत स्थानीय स्तर पर प्रोफेशनल लर्निंग कम्यूनिटी (पीएलसी) के माध्यम से सप्ताह के लिए अलग अलग गितविधियां डिजाइन की जाएंगी। स्थानीय स्तर पर अग्रिम रूप से स्कूलों को सोशल मीडिया के जरिए पाठ्य सामग्री प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए बड़ी संख्या में विशेषज्ञ शिक्षकों को जोड़ा जाएगा। निर्देश में यह भी कहा गया है कि जनवरी 2022 का चर्चा पत्र बुनियादी साक्षरता एवं गणितीय कौशल पर आधारित है। इसे देखकर भी विकासखण्ड स्तर पर स्थानीय सामग्री शिक्षकों के माध्यम से एकत्र कर सकेंगे।

नियमित मॉनिटरिंग के दिए निर्देश
निर्देश के अनुसार प्रति सप्ताह निर्धारित बिन्दुओं पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की नियमित मॉनिटरिंग और अकादमिक समर्थन संकुल समन्वयकों, शाला संकुल प्राचार्यों, विकासखण्ड स्तरीय अधिकारियों, डाईट एवं जिला स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से किया जाएगा। सभी स्कूलों में इन निर्धारित बिन्दुओं में बच्चों के साथ कार्य किया जाएगा। एक दल गठित कर प्रति सप्ताह कुछ सैम्पल क्षेत्रों में बच्चों के साथ उनकी उपलब्धि में हो रहे सुधारों की निगरानी की जाएगी। साथ ही उनकी जानकारी का गहराई से अध्ययन कर पालकों एवं समुदाय के समक्ष अपने सीखे हुए बिन्दुओं पर प्रदर्शन भी किया जाएगा।

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