नई दिल्ली। डिजिटल दौर में रेलवे के अस्पताल को भी आधुनिक जामा पहनाया जा रहा है। रेलवे ने अपने सभी अस्पतालों को हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) से लैस कर दिया है। इससे रेल कर्मचारी अपने सभी मेडिकल रिकॉर्ड अपने मोबाइल पर ही देख सकेंगे।

बता दें कि रेलवे ने अपने कर्मचारियों को राहत देने इसका निर्णय लिया है। अब स्वास्थ्यगत परेशानियों के लिए उन्हें कागज लेकर इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं होगी। उन्हेंं मेडिकल रिकॉर्ड मोबाइल पर ही मिल जाएगा। इससे उन्हें किसी तरह की जांच रिपोर्ट की मैन्युअल डाटा एंट्री की जरूरत नहीं होगी।

जानकारी अनुसार डिजिटल दौर में रेलवे के अस्पताल को भी आधुनिक जामा पहनाया जा रहा है। रेलवे ने अपने सभी अस्पतालों को हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) से लैस कर दिया है। रेल कर्मियों को अब एप के माध्यम से ही अस्पतालों से जुड़ी सुविधाएं मिल सकेंगी। एंबुलेंस की बुकिंग हो या ओपीडी का नंबर, सब काम बिना लाइन में लगे हो सकेंगे। यही नहीं, अस्पताल में अनुपलब्ध दवा को घर पर ऑनलाइन मंगाया जा सकेगा।

एचएमआईएस से जोड़े सभी अस्पताल
अपने कर्मचारियों को बड़ी राहत देने के लिए अच्छी पहल की गई है। इस सिस्टम ने अस्पताल प्रशासन और मरीजों को करीब ला दिया है। इसलिए रेलवे के सभी 695 अस्पतालों व स्वास्थ्य इकाइयों को एचएमआईएस से जोड़ने का काम रेलटेल ने पूरा किया है। यह वेब-आधारित मल्टी-मॉड्यूल सुविधा है।

नए साल का मिला तोहफा
रेलवे की अच्छी योजना के तहत एक एप विकसित किया गया है, जिसे प्ले स्टोर से डाउनलोड कर ओपीडी पंजीकरण भी कराया जा सकता है। माना जाए कि नए साल के तोहफे के रूप में इस पर एंबुलेंस बुकिंग की भी सुविधा होगी।

देशभर में 42 लाख यूनीक मेडिकल आईडेंटिटी कार्ड जारी
सुविधा ऐसी कि रोगी अपने सभी मेडिकल रिकॉर्ड अपने मोबाइल पर ही देख सकेंगे। प्रयोगशाला परीक्षण परिणामों की मैन्युअल डाटा एंट्री की जरूरत नहीं होगी। यह प्लेटफॉर्म कर्मचारियों की यूनीक मेडिकल आईडेंटिटी से जुड़ा है। इसके लिए भारतीय रेलों ने नियमित कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और परिवार के सदस्यों को लगभग 42 लाख यूनीक मेडिकल आईडेंटिटी कार्ड जारी किए हैं।

सभी चिकित्सा सेवाएं हो सकेंगी एकीकृत
इससे सभी रोगियों का इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड बन जाएगा। इस तकनीक से सभी चिकित्सा उपकरण, चिकित्सा प्रक्रियाएं और विभिन्न आईटी प्रणालियां समेकित रूप से एकीकृत हो जाएंगी। अस्पताल में अनुपलब्ध दवाओं को स्थानीय खरीद से ऑनलाइन मंगाया जा सकता है। इन-पेशेंट डिपार्टमेंट मॉड्यूल के तहत रोगियों को न केवल भर्ती किया और छुट्टी दी जा सकती है, बल्कि दवाओं, प्रक्रियाओं आदि की पूरी क्लिनिकल प्रक्रियाओं को ऑनलाइन डिस्चार्ज भी किया जा सकेेगा।
– पुनीत चावला, सीएमडी, रेलवे

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