रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय मेंछात्रों के लिए ऊर्जा संरक्षण पर आधारित पोस्टर एवं स्पीच प्रतियोगिता संपन्न हुई| इस अवसर पर होम एनर्जी ऑडिट सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का शुभारंभ भी किया गया| प्रतियोगिता के माध्यम से विद्यार्थियों में ऊर्जा संरक्षण जागरूकता में अपनी नवीन सोच और क्षमताओं को मूर्तरूप देने का प्लेटफार्म प्रदान किया गया| क्रेडा, राज्य नोडल एजेंसी द्वारा स्कूल और कॉलेजों में कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं के माध्यम से जागरूकता अभियान सतत चलता रहता हैं। यह प्रतियोगिता छात्रों को रचनात्मकता, समस्यासमाधान, टीम वर्क सहित कई कौशल विकसित करने में सहायता करती है। रायपुर, बिलासपुर, धमतरी, रायगढ़, महासमुंद, गरियाबंद, कोरिया, बलौदाबाजार, बेमेतरा, दुर्ग एवं भिलाई के लगभग 94 छात्रों ने भाषण और पोस्टर, पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया। आज भारत सभी ब्रिक्स देशों की तरह अपनी ऊर्जा संरक्षण नीति पर बहुत महत्व देता है।

प्रतिभागियों को प्रस्तावित किसी भी विषय को चुनने के लिए स्वतंत्रता थी जैसे विनम्र रहें, प्रकाश बंद करें, “बाहर की ओर उज्ज्वल होने पर प्रकाश बंद करें, “ऊर्जा के दुरुपयोग के लिए कोई बहाना नहीं| संजीव जैन, मुख्य अभियंता, क्रेडा द्वारा कार्यक्रम का उद्घाटन एवं डॉ. केशरीलाल वर्मा, कुलपति, पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा अध्यक्षता की गई। कुलपति वर्मा ने ऊर्जा संरक्षण पर अपनी बात रखी और कहा किआने वाली पीढ़िया हमे माफ नहीं करेंगी यदि हम ऊर्जा का दुरुपयोग बंदकर संरक्षण के पथ पर न चलें|

देश की बढ़ती आबादी के उपयोग के लिए और विकास को गति देने के लिए हमारे देश में ऊर्जा की मांग तीव्र गति से बढ़ रही है। लेकिन ऊर्जा के उत्पादन में खपत की तुलना में बढ़ोतरी नहीं हो पारहीहै। देश में चल रही पुरानी बिजली परियोजनाएं कभी पूरा उत्पादन कर नहीं पाई है। देश में बिजली के इस संकट को अगर अभी समय रहते दूर नहीं किया गया तो आने वाले समय में गंभीर संकट का सामना करना होगा। ऊर्जा की बचत किए बिना हम विकसित राष्ट्र का सपना नहीं देख सकते। ऊर्जा की बचत किए बिना हम विकसित राष्ट्र का सपना नहीं देख सकते।

संजीव जैन ने ऊर्जा महत्व पर डाला प्रकाश

क्रेडा के मुख्य अभियंता संजीव जैन ने देश के सतत विकास में ऊर्जा संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए कॉर्बनडाईऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के आवश्यकताओं पर जोर।

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