अंबिकापुर। आपने इंसानों को मुंह से मुंह लगाकर सांस देकर जान बचाने के कई किस्से सुने होंगे। दरअसल, टूटती हुई सांसों की डोर को बचाने का यह बेहद कारगर तरीका है। मगर, अंबिकापुर के रहने वाले सत्यम दुबे ने पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल करके मरते हुए एक सांप की जान बचाई है। सांप को सब्बल से मारा गया था, जिसकी वजह से वह मौत के मुंह में चला गया था। मगर, सत्यम दुबे ने सीपीआर देकर उसकी जान बचाई और फिर उसका इलाज भी करवाया।

बताते चलें कि जहरीले सांपों को घरों से सुरक्षित निकालकर जंगल में छोड़ने की वजह से आस-पास के लोग उन्हें स्नेक मैन के नाम से बुलाते हैं। सत्यम ने बताया कि घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) एक महवपूर्ण तरीका है। इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।

उन्होंने बताया कि जब वह घायल हालत में सांप को लेकर पशु चिकित्सालय पहुंचा, तो डॉक्टर ने कहा कि सांप का बचना नामुमकिन है। उसकी हालत बहुत नाजुक है। इस दौरान उन्होंने सोचा कि क्यों न सांप को भी सीपीआर दिया जाए। जो तकनीक इंसानों की जान बचाने में कारगर हो सकती है, वह सांप पर भी काम कर सकती है।

बस फिर क्या था उन्होंने सीपीआर दिया, तो सांप की पूंछ में हलचल होने लगी। इसके बाद उसका इलाज किया गया और उसे जंगल में छोड़ दिया गया।  वह अब तक करीब ढाई हजार से ज्यादा सांपों को रेस्क्यू करके उनके प्राकृतिक रहवास यानी जंगल में छोड़ चुके हैं। इसी वजह से वह स्नेक मैन आफ सरगुजा नाम से इलाके में चर्चित हो चुके हैं। वह वन विभाग के साथ मिलकर भी काम करते हैं।

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