सीना डेस्क। भारत में ऑटोमोबाइल तथा ऑटो कंपोनेंट के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम के तहत 115 कंपनियों ने आवेदन प्रस्तुत किए हैं। यह स्कीम 1 अप्रैल, 2022 के बाद से पांच लगातार वर्षों की अवधि के लिए भारत में विनिर्मित्त एडवांस्ड ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (एएटी) उत्पादों (वाहन तथा कंपोनेंट) की निर्धारित बिक्री के लिए स्कीम के तहत लागू हैं।

केंद्र सरकार ने 25 हजार 938 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ उन्नत ऑटोमोटिव उत्पादों के लिए भारत की विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए भारत में ऑटोमोबाइल तथा ऑटो कंपोनेंट के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई) को मंजूरी दी है।

ऑटोमोबाइल तथा ऑटो कंपोनेंट के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई) में एडवांस्ड ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने का प्रस्ताव रखा गया है।

इसके प्रमुख उद्येश्यों में लागत अक्षमताओं से उबरना, परिमाण योग्य अर्थात कम लागत में अधिक उत्पादन की अर्थव्यवस्थाओं का सृजन करना और उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों के क्षेत्रों में एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना शामिल है। यह योजना रोजगार के सृजन में भी सहायता करेगी। यह स्कीम ऑटोमोबाइल उद्योग को मूल्य श्रृंखला से उच्चतर मूल्य वर्धित उत्पादों की ओर अग्रसर होने में सुविधा प्रदान करेगी।

ऑटो सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम उच्च मूल्य के उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी वाहनों तथा उत्पादों को प्रोत्साहित करेगी। यह उच्चतर प्रौद्योगिकी, अधिक प्रभावी तथा हरित ऑटोमोटिव विनिर्माण में एक नए युग का सूत्रपात करेगी।

ऑटो सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम में भारत में उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों के विनिर्माण के लिए उद्योग को लागत संबंधी अक्षमताओं से उबरने की परिकल्पना की गई है। यह प्रोत्साहन संरचना स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला /उन्नत ऑटोमोटिव प्रोद्यौगिकी उत्पादों के सघन स्थानीयकरण में नए निवेश करने के लिए उद्योग को प्रोत्साहित करेगी।

एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) (18,100 करोड़ रुपये) तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण के त्वरित अंगीकरण (एफएएमई) (10,000 करोड़ रुपये) के लिए पहले ही लांच की जा चुकी पीएलआई स्कीम के साथ साथ ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए यह पीएलआई स्कीम (25,938 करोड़ रुपये) भारत को पारंपरिक जीवाश्म आधारित ऑटोमोबाइल परिवहन प्रणाली की तुलना में तेजी से पर्यावरण की दृष्टि से अधिक स्वच्छ, टिकाऊ, उन्नत तथा अधिक सक्षम इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) आधारित प्रणाली की ओर अग्रसर करने में सक्षम बनाएगा।

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