भोपाल। प्रदेश में जनता के लिए लागू की गई अनेक शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सरकार के खजाने में पैसा नहीं है। इससे राज्य शासन कर्ज में डूब गई है। परेशानी पैदा करने वाले रेत ठेकेदार हैं, जो 38 रेत घाटों के अरबों रुपए दबाकर बैठे हैं। इन ठेकेदारों से बकाया राशि जमा कराने नोटिस जारी किया गया है।

बकाया राशि वसूलने से सरकार के खजाने में लगभग 3 अरब रुपए आएंगे। बताया गया कि रेत का ठेका लेने वाली एंजेंसी छत्तीसगढ़ से है, जो यहां की सबसे बड़ी एजेंसी है।माइनिंग विभाग के सुत्रों के अनुसार खाली खजाना भरने के लिए सरकार को इन ठेकेदारों से 2 अरब 95 करोड़ रुपए वसूलना है।

बताया गया है कि मध्य प्रदेश स्टेट माइनिंग कॉपोरेशन ने 38 ठेकेदारों से वसूली के लिए कमर कस ली है। एमपी स्टेट माइनिंग कॉपोरेशन ने सभी ठेकेदारों को नोटिस जारी कर अपने खदानों की बकाया राशी जमा करने के लिए कहा गया है।

परेशानी पैदा करने ठेकेदार छतीसगढ़ के बड़े माइनिंग ग्रुप “आरकेटीसी” हैं, जिन्होंने शिवराज सरकार के राजस्व विभाग को 185 करोड़ से ज्यादा का चूना लगा दिया है। उसके बाद से एमपी सरकार की नींद उड़ गई है। इसे लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखा था।

विभाग के अनुसार सरकार पिछले तीन माह में रेत खदानें नीलाम नहीं कर सकी है। इसका असर सरकार के साथ आम लोगों पर पड़ने लगा है। 24 जिलों के ठेके निरस्त होने के बाद अब ठेकेदारों ने भंडारित रेत को निकालना शुरू कर दिया है। इस कारण रेत पांच दिनों के अंदर तीन सौ रुपए प्रति सौ फीट ट्राली महंगी हो गई है। इससे निर्माण कार्यों की लागत में फर्क पड़ने लगा है।

ज्ञात हो कि वर्तमान में प्रदेश के 24 जिलों की रेत खदानों के ठेके निरस्त हो चुके हैं, जिससे प्रदेश में रेत का संकट खड़ा होने लगा है। ऐसे में सरकार ने तहसील स्तर पर रेत खदानें नीलाम करने का निर्णय लिया है।

जानकारी अनुसार रेत की खदानें महंगी नीलामी करने से ज्यादा दिन नहीं चलीं। इस वजह से पहले ही साल प्रदेश की प्रमुख रेत खदान नर्मदापुरम होशंगाबाद के ठेकेदार ने खदान छोड़ दिया। दूसरी बार नीलामी की गई वो भी ठेकेदार खदान नहीं चला पाया। पिछले डेढ़ साल में खदानें छोड़ने का सिलसिला चल रहा है। अब तक 39 में से 24 रेत खदानों के ठेके निरस्त हो चुके हैं।

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