गरियाबंद। पिछले सप्ताह लगभग पांच दिनों तक हुई बारिश ने देवभोग के 24 भूमिहीन किसान परिवार की मेहनत पर पानी फेर दिया है। उनकी रोजी-रोटी नदी की रेत पर निर्भर है। अब वे कर्ज को लेकर चिंतित हैं। इधर अधिकारी ने कहा टैक्स पटाकर पंजीयन नहीं कराया इसलिए मुआवजा नहीं दिया जा सकता।

बता दें कि कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ में हुई बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है, उन्हें बड़ा नुकसान हुआ है। नदी की उथली रेत पर सब्जी की खेती पूरी तरह पानी में डूब गई है। ऐसे में कर्ज में आ गए हैं। नदी की खाली जगह रेत वाले इलाके में तेल नदी के दबनई, दहिगांव, करचिया, निष्टिगुड़ा, परेवापाली और सेनमूड़ा घाट पर 24 किसान परिवार लगभग 30 एकड़ रेत पर हर साल सब्जी की फसल लेते आ रहे हैं।

किसानों के अनुसार इसी खेती के भसोसे उनका जीवन चल रहा है। वहीं इन्हीं के माध्यम से इलाके भर में गर्मी के दिनों में ताजी और हरी सब्जियां उपलब्ध हो पाती हैं, लेकिन इस बार हुई बेमौसम बारिश ने 70 फीसदी सब्जी की फसल चौपट कर दी है।

देवभोग के किसानों ने बताया कुछ दिनों पहले अचानक नदी में आए बहाव से टमाटर, बरबट्टी, टिंडा, करेला, भंठा, तरबूज के अलावा लगभग दर्जनभर से अधिक तरह की सब्जियों के पौधे नष्ट हो गए। पौधे पानी में 4 से 5 दिन डूबे रहे, जिससे फसल खराब हो गई। वे लोग पिछले 20 से 25 वर्षो से खेती करते आ रहे हैं, ऊपर वाले ने साथ दिया तो प्रति एकड़ 50 से 60 हजार की आमदनी हो जाती है। इस आमदनी के लिए इतनी ही लागत और 4 माह की मेहनत लगानी पड़ती है। वहीं कीड़े वगैरह से बचाव के लिए लगातार देखभाल करना पड़ता है।

रोते हुए किसानों ने कहा कि इस नुकसान की भरपाई कोई नहीं करता है। किसानों ने कहा कि इससे पहले भी नुकसान हुआ, पर अधिकतम 30 फीसदी ही भुगतान हुआ, जिसकी भरपाई वो दुगुनी मेहनत कर भरपाई करते रहे हैं। इन भूमिहीन किसानों को सरकारी कर्ज नहीं मिलता है। किसान साहूकारी से कर्ज लेकर 6 माह गुजारे का इंतजाम करने के लिए परिवार सहित दिन-रात मेहनत करते हैं। 24 परिवार के 90 सदस्य का नदी की रेत से ही गुजारा चलता है।

इधर नायब तहसीलदार अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि ऐसी जमीन या रेत पर खेती सिवाय चक्र आय की श्रेणी में आता है। रकबा के आधार पर सालाना मामूली शुल्क पटाकर पंजीयन कराना होता है। विगत 2 वर्षों से इन्हें टैक्स भरकर पंजीयन कराने कहा जा रहा है, लेकिन सीजन में किसान भूल जाते हैं, इसलिए इन्हें मुआवजा नहीं मिल सकता। नदी में डूब चुके कुछ ऐसे भी रकबा हैं जिनकी भूमि स्वामी हैं उन्हें मुआवजा देना संभव है।