सीना डेस्क। एक फरवरी को संसद में आम बजट पेश किए जाएंगे। कोरोना संक्रमण के बीच इस बार की बजट में देश में अनेक परेशानियों के समाधान की बड़ी चुनौतियां हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से खासकर महंगाई पर नियंत्रण और बेरोजगारों के लिए रोजगार सृजन की उम्मीद है। ऐसे में विशेषज्ञ इस बजट में सबसे ज्यादा फोकस इन्हीं पर करने पर जोर दे रहे हैं।

ऐसी संभावना है कि कोविड-19 संकट से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार इस बजट के माध्यम से तेज करना, बेरोजगारी घटाना, किसानों और छोटे कारोबारियों की आय बढ़ाना समेत कई बिदुओं पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित होगा।

ऐसी है चुनौतियां
कोरोना महामारी के बाद से देश में बेरोजगारी की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। आर्थिक मंदी ने पिछले छह वर्षों में से पांच में बेरोजगारी दर को वैश्विक आंकड़े से ऊपर धकेल दिया है। हालांकि, हाल के दिनों में सुधार आया है लेकिन अभी भी यह औसत से काफी अधिक है। सीएमआईई के आंकड़ों को देखें तो भारत में बेरोजगारी दर फिलहाल, 6.9 फीसदी पर है। शहरी बेरोजगारी दर 8.4 फीसदी और ग्रीमीण बेरोजगारी दर 6.2 फीसदी है। इससे उबरने वित्त मंत्री को बजट में बेरोजगारी कम करने के उपायों पर जोर देना होगा।

बेरोजगारी ही सर्वे में प्रमुख मुद्दा
आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने भी कहा है कि बजट 2022 में रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था में व्यापक असमानता को पाटने के अलावा विकास में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एक सर्वे में एसोचैम ने कहा है कि 2022 के बजट में, सरकार को पहले बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, इसके बाद विनिर्माण क्षमताओं के उच्च प्रोत्साहन विस्तार के माध्यम से रोजगार सृजन को बढ़ाना चाहिए।

ये उम्मीद कर रहे हैं करदाता
महामारी के बीच, करदाता उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार 2.5 लाख रुपये की मूल आयकर छूट सीमा और 10 लाख रुपये और उससे अधिक के शीर्ष आय स्लैब में ऊपर की ओर संशोधन करेगी। आम बजट में व्यक्तिगत करदाताओं को कई राहतें दे सकती हैं। इनमे आयकर अधिनियम के सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट महत्वपूर्ण है, जिसे 2014 से नहीं बदला गया है।

आम आदमी के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं
इस महामारी के दौरान आम लोगों को भयंकर परेशानी का सामना करना पड़ा है।हेल्थकेयर सेक्टर ने बड़ी चुनौती का सामना किया है। ऐसे में कोरोना के साये में पेश होने जा रहे इस बजट में भी हेल्थकेयर पर विशेष जोर होने की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए वित्त मंत्री को सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता पर ध्यान देना चाहिए

बैंकबाजार.कॉम सीईओ ने कहा
बैंकबाजार.कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि 2014 में आयकर अधिनियम के तहत 80सी के तहत मिलने वाली छूट 1.5 लाख रुपये की गई थी। महंगाई और बढ़ती आय को देखते हुए इसे 1.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए। 80सी में इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस और अन्य खर्च पर टैक्स में छूट दी जाती है।

राजकोषीय घाटा कम कर निवेश बढ़ाना
बजट 2022 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने राजकोषीय घाटा कम करना और निवेश बढ़ाने की बड़ी चुनौती होगी। कोरोना काल में अत्यधिक उधारी और खर्च ने भी राजकोषीय घाटा बढ़ा दिया है। वहीं, निजी निवेश अभी भी बहुत कम है। वित्त मंत्री को इससे बचने के उपाय इस बजट में करने होंगे। भारत का राजकोषीय घाटा रिकॉर्ड 9.3 प्रतिशत तक पहुंच गया, क्योंकि मोदी सरकार ने महामारी के दौरान अपने 800 मिलियन गरीबों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराने में उर्वरक और खाद्य सब्सिडी पर खर्च किया। अब सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में इसे वापस 6.8 प्रतिशत करने का है।

इनका कहना है
क्रेडएबल फॉर इंडिया इंक. के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक राम केवलरमानी ने कहा कि बजट से अर्थव्यवस्था को बड़ी गति मिलने की उम्मीद है। सरकार के लिए नंबर एक प्राथमिकता के रूप में आर्थिक पुनरुद्धार चार्ट में सबसे ऊपर होना चाहिए। कैलिब्रेटेड खर्च और जरूरत-आधारित पूंजीगत व्यय एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए। राजकोषीय नीति को आर्थिक विकास का समर्थन करते रहना चाहिए।

किसानों को साधने पर फोकस
महंगाई और बेरोजगारी के साथ ही सरकार के सामने किसानों को साधना भी एक बड़ी चुनौती है। बीते समय में किसानों के भारी विरोध का सामना करने के बाद अब वित्त मंत्री को बजट 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने पर जोर देना होगा। गौरतलब है कि कोरोना संकट में देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कह चुके हैं।

घरेलू मांग में सुधार
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) का अनुमान है कि 2021-22 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था 9.2 फीसदी की दर से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी। इसके बावजूद कि इस साल की ग्रोथ रेट पिछले साल के अभूतपूर्व 7.3 फीसदी की नकारात्मक दर के बेस पर आ रही है। यानी भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए कैश ट्रांसफर जैसे कदम सरकार को उठाने होंगे।

इस पर काबू पाना जरूरी
देश में महंगाई भी लगातार उछाल मार रही है। खाने-पीने की चीजों पर मूल्यवृद्धि के कारण खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 5.59 फीसदी पहुंच गई है। वहीं, थोक महंगाई 13.56 फीसदी के उच्चतम स्तर पर है, हालांकि दिसंबर में इसमें कुछ कमी आई है। महंगाई बढ़ने से लोगों की क्रय क्षमता प्रभावित हुई और घर का बजट बिगड़ा है। वित्त मंत्री को महंगाई पर काबू करते हुए खर्च बढ़ाने के उपाय पर जोर देना चाहिए।