रायपुर। रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) की जमीन को बैंक ने बंधक बना लिया है। इसके लिए प्रदेश के आवास मंत्री ने पूर्व सरकार को दोषी माना है। उन्होंने कहा है निवेश के एवज में आवक नहीं हो पाया। मंत्री ने कहा कि ये सब परिस्थिति डॉ. रमन सरकार के समय ही बन गई थी।

जानकारी अनुसार रायपुर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, मिड-कॉर्पोरेट शाखा ने सोमवार को नवा रायपुर, अटल नगर में खुदरा परिसर निर्माण करने लिए गए ऋण पर अटल नगर विकास प्राधिकरण को 3,17,79,62,793 रुपए की वसूली के लिए और भूमि को सिक्योरिटी के रूप में लेने के लिये नोटिस जारी किया था।

जमीन जप्त करने के मामले पर छत्तीसगढ़ के आवास एवं पर्यावरण मंत्री मो. अकबर ने मंगलवार को अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के अनियोजित और उच्च लागत के निवेश के कारण बैंक की सरकारी जमीन पर कब्जा करने की स्थिति पैदा हो गई है।

जानकारी अनुसार पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने मंगलवार को बैंक के नोटिस को ट्वीट कर इस टिप्पणी के साथ ट्वीट किया था कि राज्य सरकार ऋण का भुगतान करने में विफल रही है। सरकारी संपत्ति पर बैंकों का कब्जा है। आगे लिखा है कि राजकोषीय कुप्रबंधन के कारण जल्द ही ऐसी और संपत्तियां ऐसी ही स्थितियों का सामना करेंगी।

उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए आवास मंत्री मो. अकबर ने अपने सरकारी आवास पर मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिना विश्लेषण और सर्वेक्षण के उच्च कीमत वाला निवेश किया गया जिसके लिए पूर्व सीएम जिम्मेदार हैं।

कर्ज बढ़ने का ये बताया कारण
जमीन जप्ती पर मंत्री ने आगे कहा कि 2.659 हेक्टेयर भूमि में फैले ग्राम कायाबंधा और बड़ौदा में निर्मित खुदरा परिसर की लागत 262.31 करोड़ रुपए है। इसमें निर्माण की लागत अन्य क्षेत्रों की तुलना में 9425 रुपए प्रति वर्ग फुट अधिक थी। मामले पर एक कमजोरी बताई कि परियोजना शुरू होने से पहले इसकी उपयोगिता और मांग का कोई सर्वेक्षण ही नहीं किया गया था। खुदरा कारोबार में सुस्ती के चलते तय समयावधि में बिक्री नहीं हो सकी।

..इतने लाख कारपेट एरिया मासिक किराए पर
मंत्री ने आगे जानकारी दी कि जून 2016 में 169 करोड़ रुपए का ऋण प्राप्त हुआ था, जिसमें से 20.71 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। 30 जून 2021 तक बचा हुआ कर्ज 158.29 करोड़ रुपए था। 2.64 लाख वर्ग फुट कालीन क्षेत्र के मुकाबले केवल 0.27 लाख कालीन क्षेत्र यानी 10% बेचा गया है। इसके अलावा 0.17 लाख कारपेट एरिया मासिक किराए पर है। कर्ज के मामले में मंत्री ने कहा कि अगर बिक्री होती तो ऐसी स्थिति नहीं बनती। निर्माण की उच्च लागत कम बिक्री के कारणों में से एक है।