कवर्धा। जिले के विकासखण्ड पंडरिया के शहरी से लेकर ग्रामीण और वनांचल ईलाकों के पक्के आवास विहीन पात्र हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में वे घास-फूस से बनी झोपड़ियों में अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं।

केंद्र और राज्य सरकार की आपसी खींचतान और अफसरों की फर्राशाही के चलते छत्तीसगढ़ में पात्र हिग्राहियों के पक्के मकान का सपना, सपना ही बनकर रह गया है। ऐसे में गरीब परिवार अब भी झोपड़ी में जीवन गुजारने को मजबूर है।

योजना को लेकर विवाद
आपको बता दें कि केंद्र और छत्तीसगढ़ राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हैं, लेकिन राज्य और केंद्र के बीच प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर उपजे विवाद के चलते केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अब यहां के पात्र हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है।

फिर भी अपात्र हो गए हितग्राही
पंडरिया ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र के आदिवासी परिवारों की बात की जाए तो पक्के मकान में रहने का सपना बीते करीब दो साल से संजोए बैठे हितग्राहियों की उम्मीदें अब टूटने लगी है। बताया जाता है कि इन्हें ये मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने थे, लेकिन सर्वे ऑनलाइन फिडिंग, जियो टैग के कामों में हुई लापरवाही के चलते सभी को अपात्र घोषित कर दिया गया है।

रिजेक्ट होने का कारण सोचने पर किया मजबूर
हैरानी की बात ये हैं कि ग्राउंड रिपोर्ट रिजेक्ट होने का कारण भी ऐसा है कि विश्वास करना मुश्किल है। जिन परिवारों के आवास रिजेक्ट हुए हैं उन हितग्राहियों के पलास के पत्तों और घास-फूस से बनी झोपड़ी अधिकारियों को नजर नहीं आई, बल्कि अधिकारियों को इन हितग्राहियों को इन झोपड़ियों में लैंडलाइन फोन और पार्किंग में कार भी नजर आई है।

जीवन गुजर रहा झोपड़ी में, पर..
दूसरा ऐसा ही किस्सा सनत पिता समारोह 5 लोगों के परिवार का है, जिनका आवास रिजेक्ट कर दिया है। इसका कारण पक्का मकान होना बताया गया है, जबकि झोपड़ी की कच्ची दीवार जगह-जगह से ढही हुई है। लकड़ियों की छत पर प्लास्टिक डाला हुआ है।

बिना मकान मजदूरी कर जीवन चला रहा, पर..
वनांचल माटपुर निवासी भोलाराम को पहले से मकान मालिक बताया गया है, जबकि वह मजदूरी कर परिवार पाल रहा है। झोपड़ी के नाम पर पारस के पत्तों की दीवारें और तिनकों की छत है, जो न बारिश रोक पाती है और न सर्द हवा। ऐसे ही पीड़ित बबला ने बताया दो किस्त मिल गया है, लेकिन केंद्र और राज्य के विवाद से लगता है कि मेरा घर नहीं बन पाएगा।

केंद्र और राज्य के बीच पीस रहे
कुल मिलाकर देखा जाए तो केंद्र और राज्य सरकार की आपसी खींचतान और अफसरों की फर्राशाही के चलते अब पात्र हिग्राहियों के पक्के मकान का सपना सपना ही बनकर रह गया है।

By admin