रायपुर। कर्जदार एनआरडीए को बैंक ने राशि चुकाने के लिए 60 दिनों का समय दिया था। बावजूद एनआरडीए ने इस पर कोई पहल नहीं की। इसलिेए बैंक ने कार्रवाई करते हुए एनआरडीए की जमीन को जब्त कर लिया है।

बैंक के अनुसार छत्तीसगढ़ की नई राजधानी बसाने और उसके प्रबंधन के लिए बैंक से करोड़ों का कर्ज लिया था। इसलिए अटल नगर नवा रायपुर विकास प्राधिकरण उधारी के जाल में फंस गया। यूनियन बैंक से लिए गए 317.79 करोड़ रुपए की उधारी बचा हुआ है। इसलिए बैंक ने नया रायपुर डेवलपमेंट अथॉरटी (एनआरडीए) की 2.659 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है।

बता दें कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मिड कॉर्पोरेट शाखा ने एक दिन पहले अखबारों में एक विज्ञापन जारी किया था। उसका मजमून है कि बैंक ने नवा रायपुर विकास प्राधिकरण को 2 अगस्त 2021 को एक डिमांड नोटिस जारी किया था। इसके जरिए बैंक ने 317 करोड़ 79 लाख 62 हजार 793 रुपयों के साथ ब्यॉज और कानूनी शुल्क आदि देने की मांग हुई थी।

अखबार में दिए विज्ञापन अनुसार कर्जदार एनआरडीए को राशि चुकाने बैंक ने 60 दिनों का समय दिया था। इस अवधि में प्राधिकरण ने रकम नहीं चुकाई। मियाद पूरा होने के तीन महीने बाद बैंक ने वसूली की कार्यवाही शुरू की। इसके तहत 12 जनवरी को नवा रायपुर के कयाबांधा और बरोडा गांव की 2.659 हैक्टेयर जमीन को बैंक ने अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि यह कब्जा प्रतीकात्मक है, लेकिन इसका कानूनी महत्व भी है।

..ऐसे हुई नवा रायपुर की हालत पस्त
जानकारी अनुसार नई राजधानी बसाने के लिए सरकारों ने जिस मान से अनाप-शनाप कर्ज लेकर सुविधाएं विकसित की उस मान से यहां निवेश नहीं हुआ। इसलिए प्राधिकरण की आय प्रभावित हुई। अभी तक यह प्राधिकरण सरकारी मदद और कर्ज के भरोसे है।

ऐसी स्थिति क्यों बनी देखना होगाः आवास मंत्री
मामले में आवास और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है, यह स्थिति क्यों बनी यह देखना होगा। इसके अफसर सरकार को रोज-रोज की रिपोर्ट नहीं देते ऐसे में इस हालात की जानकारी उन्हें नहीं है। जानकारी अनुसार इधर राज्य सरकार ने भी पिछले तीन साल में 51 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया है।