सीना डेस्क। कोरोना महामारी से निपटने के लिए रेलवे कोचों, एसी बसों, बंद जगहों आदि में सीएसआईआर की नई विकसित कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी स्थापित की जा रही है। रेलवे, संसद भवन और एसी बसों में यूवी-सी कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी के सफल परीक्षणों के बाद, यह अब आम जनता के उपयोग के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराई गई है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि महामारी से निपटने के लिए रेलवे कोचों, एसी बसों, बंद जगहों आदि में सीएसआईआर की नई विकसित कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी स्थापित की जा रही है। सीएसआईआर-सीएसआईओ (केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन) के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित यूवी-सी प्रौद्योगिकी सार्स-सीओवी-2 के वायु संचरण को कम करने के लिए पूरी तरह से प्रभावी है और यह कोविड-काल के बाद भी प्रासंगिक रहेगी। उन्होंने कहा कि रेलवे, एसी बसों और यहां तक कि संसद भवन में भी इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है और अब यह आम जनता के उपयोग के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है।
डॉ. जितेंद्र सिंह सार्स-सीओवी-2 संचरण को कम करने के लिए कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी पर सीएसआईआर दिशानिर्देश जारी करने के बाद बोल रहे थे। हालांकि, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगाह किया कि इस कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी की स्थापना के बाद भी, सभी को कोविड के अनुरूप व्यवहार का सख्ती से पालन करने की सलाह दी जाती है, जिसमें फेस मास्क का उपयोग, सामाजिक दूरी बनाए रखना, भीड़भाड़ से दूर रहना आदि शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आवश्यक वायु-संचार के उपायों, जरूरी सुरक्षा और उपयोगकर्ता के लिए दिशानिर्देशों और परखे गए जैव-सुरक्षा मानकों आदि के साथ एयरोसोल में निहित सार्स सीओवी-2 वायरस को निष्क्रिय करने के लिए यह प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। यूवी-सी 254 एनएम यूवी प्रकाश का उपयोग करके उपयुक्त खुराक के साथ वायरस, बैक्टीरिया, फंगस व अन्य बायो- एयरोसोल आदि को निष्क्रिय कर देता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक निश्चित अवधि के लिए वास्तविक रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध के मद्देनजर 5 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सीमित क्षमता के साथ कमरों के भीतर बैठकों के दौरान इस प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए सीएसआईआर भारतीय चुनाव आयोग को लिखेगा। उन्होंने कहा कि यूवी-सी एयर डक्ट कीटाणुशोधन प्रणाली का उपयोग सभागारों, बड़े सम्मेलन कक्षों, मॉल आदि में किया जा सकता है जो वर्तमान महामारी में इंडोर गतिविधियों के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है।
रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ए के मल्होत्रा ने बताया कि यूवी-सी कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी का एक महीने के लिए बांद्रा से चंडीगढ़ तक 1000 किलोमीटर की दूरी की रेलगाडियों के डिब्बों में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। उन्होंने कहा कि आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन), लखनऊ ने चरणबद्ध तरीके से सभी रेल कोचों में इस प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की सिफारिश की है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अमित वरदान ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की एसी बसों में यूवी तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया था। उन्होंने बताया कि उनका मंत्रालय सभी यात्री परिवहन वाहनों में इसे लगाने के लिए उत्सुक है।