रायपुर। प्रदेश में बेमौसम बारिश से हजारों एकड़ फसल खराब हो गई है। इससे किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। राज्य शासन ने नुकसान की भरपाई के लिए फसल का मुआवजा देने का ऐलान किया है। कृषि मंत्री ने इसके लिए सर्वे करने का आदेश दिया है।

छत्तीसगढ़ में सप्ताह भर से हो रही बेमौसम बारिश के साथ ओलावृष्टि ने रबी की फसलों को नुकसान पहुंचाया है। नगद फसल सब्जियों के साथ ओन्हारी की खेती भी बारिश से बर्बाद हो गई है। ऐसे में किसानों को सरकार ने राहत देने के लिए सभी कलेक्टर को खेतों का सर्वे कर नुकसान का रिपोर्ट तैयार करने कहा है।

मामले में प्रदेश के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि वर्तमान में जो बारिश हुई है इससे रबी फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा विशेषकर उन जिलों में जहां रबी की खेती अधिक होती है। जानकारी दी कि राजनांदगांव, मुंगेली, बेमेतरा, दुर्ग, कवर्धा, और रायपुर जिले के भाटापारा से लगे क्षेत्रों में रबी की फसल बड़ी मात्रा में होती है। यहां चना, अलसी, मसूर, लाख-लाखड़ी और तिवड़ा, उतेरा की फसल खराब हुई है। गेहूं की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। मंत्री चौबे ने कहा फसलों के नुकसान के बारे में कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं। कृषि और उद्यानिकी विभाग अमले के साथ राजस्व अमले को साथ लेकर आंकलन कराने के निर्देश हैं।

आरबीसी (राजस्व पुस्तक परिपत्र) के तहत राशि का आवंटन
कृषि मंत्री ने कहा है सर्वे कर बीमा कंपनियों को भी भेजें और किसानों को बीमा राशि भी दिलाएं। रविंद्र चौबे ने जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री खुद इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। मुआवजा और बीमा क्लेम की एक निर्धारित प्रक्रिया है। इसमें थोड़ा समय तो लगेगा। पिछले साल किसानों को बीमा प्रीमियम से कई गुना ज्यादा बीमा राशि मिली थी। इस साल भी उम्मीद करते हैं फसलों के नुकसान की भरपाई बीमा की राशि से कर पाएंगे।

पिछली बारिश का भी सर्वे
मंत्री चौबे ने जानकारी दी कि 15 दिन पहले बारिश हुई थी। उसमें कुछ किसानों की धान की फसल खेतों में रह गई थी। उसके ऑब्जर्वेशन के लिए कलेक्टरों को उसी समय कह दिया गया था। जानकारी आ गई है। आरबीसी (राजस्व पुस्तक परिपत्र) के प्रावधानों के तहत उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।

ऐसा किया जाता है सर्वे
सर्वे की प्रक्रिया पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया इसकी एक प्रक्रिया है। सबसे पहले फील्ड में अधिकारी जाते हैं। सर्वे करते हैं। किसानों को चिन्हित करते हैं। रिपोर्ट भेजते हैं। आकलन की रिपोर्ट भेजते हैं। इसमें देखा जाता है कि नुकसान 35% से कम है या 50% से अधिक है। उसी के आधार पर बीमा की राशि तय होती है। उसी आधार पर आरबीसी के प्रावधान हैं।

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