इंदौर। भारतीय संस्कृति में संवत्सर के ग्याहरवे चंद्रमास और दसवें सौरमास को माघ मास कहा जाता है। जब मघा नक्षत्र में पूर्णिमा होती है, तो उसे माघ मास का जाता है। माघ अर्थात माधव माना जाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस माह का बहुत महत्व है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि कि शास्त्रों में कहा गया है कि संपूर्ण मास में जल के भीतर डुबकी लगाने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है तथा स्वर्ग लोक को प्राप्त होता है।

माघे निमग्ना: सलीले सुशीते विमुक्तापापस्त्रीदिवम प्रयांती।।

स्नान के साथ साथ श्री हरि भजन हरि पादपूजन, भजन, कीर्तन करने का विशेष महत्व है। पद्म पुराण के उत्तर खंड में माघ मास के विषय में कहा गया है कि व्रत दान और तपस्या से श्री हरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती जितनी कि माघ महीने में स्नान से होती है। इसलिए सभी पापों की मुक्ति के लिए और भगवान के शुभाशीष प्राप्त करने के लिए मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए।

प्राचीन काल में नर्मदा तट पर सुव्रत नाम का ब्राह्मण रहता था। जो सभी शास्त्रों का ज्ञाता था, परंतु उसने अपने जीवन काल में धन उपार्जन ही किया। कभी अपना जीवन धर्म कार्यों में नहीं लगाया। अंत में जब चोरों ने उसके धन को चुरा लिया तथा वृद्धावस्था प्राप्त हो गई, तब उन्हें ध्यान आया की माघ स्नान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

उन्होंने माघ स्नान किया। नौ दिन तक प्रातः नर्मदा के जल में स्नान करते रहे। दसवें दिन स्नान के बाद अशक्त हो गए। शीत से पीड़ित हो उन्होंने प्राण त्याग दिया। यद्यपि उन्होंने जीवन भर कोई सत्कर्म नहीं किया था परंतु माघ मास में स्नान करके पश्चातापपूर्वक निर्मल मन हो प्राण त्यागने से उनके लिए विमान आया और उस पर आरूढ़ हो स्वर्गलोक को चले गए।

इस मास में व्रत, जप, नियम, दान, प्रभु भक्ति सभी प्रभु के निमित्त करना चाहिए। पद्म पुराण में कहा गया है कि जो माघ मास में या मास की पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करता है, उसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा भी गया है कि प्रयाग में माघी अमावस्या को तीन करोड़ दस हजारअन्य तीर्थो का समागम भी होता है।

प्रयाग में कल्पवास करने का भी विशेष महत्व है। महाराज युधिष्ठर ने भी महाभारत में विजय प्राप्ति के लिए प्रयागराज में माघ कल्पवास किया था। इस मास में तिल दान करने का भी विशेष महत्व है। इसीलिए तिल से संबधित पर्व, व्रत जैसे – तिलवाचौथ, षटतिला एकादशी आदि इसी मास में आते हैं।

इस मास में तिल, गुड दान करने का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है जो भी मनुष्य ब्राह्मणों को तिल दान करता है, उसे नरक दर्शन नहीं होता है।

यथा – माघमासे तिलान यस्तु ब्रह्मनेभ्यो प्रयच्छती। सर्वासत्तवसमकीर्णम नरकम स न पश्यति।।

इसीलिए माघ मास की प्रत्येक तिथि पर्व है। पूरे मास माघ स्नान करना चाहिए यदि न हो सके तो तीन दिन स्नान अवश्य करना चाहिए।

कुंडली विवेचना कराने के लिए आप चाहें तो ज्योतिष कर्मकांड मर्मज्ञ एवं भागवताचार्य पंडित गिरीश व्यास से मोबाइल नंबर 9926700361 या ईमेल girishvyas121212@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।

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