भिलाई। प्रदेश का एक मात्र छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राजनीति, पक्षपात और मनमानी के किस्से बाहर आते रहे हैं। इस बार ताजा मामले में आर्थिक अनियमितता की बात सामने आ रही है। इसमें कुलपति की कार्यप्रणाली को लेकर राज्यपाल को शिकायत भेजी गई है। पिछली बार की शिकायत में राजभवन से आए एक पत्र में कुलपति से जवाब मांगा गया है।

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसूइया उइके कल रविवार को छुट्टी के दिन सीएसवीटीयू विजिट पर आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो यहां कोई समारोह या आयोजन नहीं है। वहीं कोरोना प्रोटोकाल भी चल रहा है। ऐसे में यहां सवाल ये उठता है कि आखिर महामहिम किस वजह से टेक्निकल यूनिवर्सिटी आएंगे। ..क्या कुछ गड़बड़ है।

आपको बता दें कि पिछली बार सीएसवीटीयू के कुलपति की बैठक व्यवस्था को लेकर राज्यपाल से शिकायत की गई थी। उस शिकायत पर जांच प्रक्रिया में राजभवन से सीएसवीटीयू को पत्र आया है। पत्र में कुलपति से जवाब मांगा गया है। शिकायत में जानकारी दी गई थी कि कुलपति अपनी बैठक व्यवस्था किसी न्यायाधीश की तरह बना रखी है। अपने आसन को ऊंचा कर लिया है। इस तरह बैठने का अधिकार प्रॉटोकॉल के अनुसार केवल न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को है। ऐसे में उनकी यह बैठक व्यवस्था किसी राजशाही का भान कराती है।

इस बार शिकायत आर्थिक अनियमितता को लेकर सीएसवीटीयू के पीएचडी विभाग के प्रभारी रहे ओमप्रकाश मिश्रा ने ही राज्यपाल से की है। उन्होंने छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय में लंबे समय से जिम्मेदारों द्वारा की जा रही आर्थिक गड़बड़ी से लेकर अन्य 13 मामलों की जानकारी राजभवन को दी है।

मिश्रा ने राजभवन को भेजी अपनी शिकायत में लिखा है कि सीएसवीटीयू के कुलपति एवं कुलसचिव एमके वर्मा ने अपने अधिकार का दुरूपयोग किया है। ऐसा कर इन्होंने विश्वविद्यालय को करोड़ों की आर्थिक क्षति पहुंचाई है। इस भ्रष्टाचार की गहन जांच की जाए।

राजभवन को बिंदुवार प्रेषित पत्र में ये दी गई है जानकारी..
1. विश्वविद्यालय में यूटीडी 2017 में प्रारंभ कर पीजी कोर्सेस शुरू किया गया, जबकि एआईसीटीई के मानकों के अनुसार तब न तो भवन था, न लैब, न लाइब्रेरी थी और न ही रेगुलर प्रोफेसर थे। फिर भी छात्र-छात्राओं को प्रवेश दे दिया गया। यह कुलपति की मनमानी का सबसे बड़ा प्रमाण है।

2. कुलपति नें यूटीडी में अस्थायी प्रोफेसर्स की भर्ती की, वह भी मनमानी बेसिक वेतन के भुगतान के अनुसार। प्रत्येक छै माह में विज्ञापन जारी कर आवेदकों से मनमाना शुल्क लेकर आवेदन लिए गए, परंतु चयन कम योग्यता के चहेतों का ही किया जाता रहा, जबकि वहां योग्य आवेदक उच्च डिग्रीधारी, रिसर्चर भी थे। आईआईटी के अच्छे अनुभवी प्रोफेसर्स की अनदेखी की गई।

3. राज्य शासन का स्पष्ट निर्देश है कि रिक्त पद पर नियमित नियुक्ति होने तक अतिथि शिक्षक प्रति पीरियड व प्रति घंटा के मानदेय पर नियुक्ति की जाए। पर ऐसा नहीं किया गया। नियमों का उल्लंघन करते हुए कुलपति वर्मा ने 62540 रुपए प्रति माह के वेतन के साथ अयोग्य को नियुक्ति दे दी। ऐसे में कुलपति के मनमाने निर्णय से विश्वविद्यालय को करोड़ों की आर्थिक क्षति हुई है।

4. विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में दैनिक वेतन पर कर्मचारियों के साथ ही बड़ी संख्या में कंसल्टेंट की नियुक्ति भी की गई है, जबकि ये सभी नियुक्तियां गैर जरूरी एवं औचित्यहीन है। इससे भी विश्वविद्यालय की बड़ी राशि की क्षति हुई।

5. TEQIP-III प्रोजेक्ट की समाप्ति पर उसके दो अधिकारी व दो कर्मचारियों को कंसल्टेंट के पद पर नियुक्त किया गया, जाकर विश्वविद्यालय को साल भर में करोड़ों का अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ाया गया। प्रोजेक्ट के दो अधिकारी जो अब कंसल्टेंट हैं वे कुलपति के काफी करीबी हैं। उनके आर्थिक लाभ के लिए कुलपति ने यूनिवर्सिटी के सभी नियमों को नकार दिया। बताया गया है कि इन्हीं दोनों तथा एक और कंसल्टेंट के अनुसार ही समूचा विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है।

6. विश्वविद्यालय के लिए मनपसंद गैरजरूरी नए वाहनों का क्रय किया जाना भी सवालों के घेरे में है। जबकि पहले से व्यवस्थित गाड़ी संस्था में थी। ऐसे में अपात्रों को वाहन सुविधा देने से भी प्रतिमाह डीज़ल खर्च से आर्थिक बोझ पड़ रहा है।

विद्यार्थियों की कमी के साथ आर्थिक आय भी घटी
मिश्रा ने इनके साथ ही सात और शिकायतें की हैं। उल्लेखनीय है कि अब इंजीनियरिंग में छात्र-छात्राओं की प्रवेश संख्या घटी है, जिससे विश्वविद्यालय की आय में भी भारी कमी आई है। साथ ही दो बडे़ कॉलेज आटोनामस भी घोषित हुए हैं। इन सभी नियुक्तियों में भारी लेन-देन की गयी है। ओमप्रकाश मिश्रा ने राज्यपाल से मामले की जांच की अपील की है। वहीं यूनिवर्सिटी में परिवारवाद और भ्रष्टाचार को लेकर गत महीने एनएसयूआई के पदाधिकारी प्रकाश शर्मा ने भी कुलपति को पत्र सौंपकर मामले की जांच की मांग की थी।

हां, शिकायत की है
ओमप्रकाश मिश्रा ने जानकारी दी है कि सीएसवीटीयू के कुलपति की मनमानी व करप्शन की शिकायत मेरे अलावा और भी लोगों ने राजभवन भेजी है। मिश्रा ने बताया कि शिकायत के बाद से मुझे धमकियां मिल रही हैं। कुलपति एमके वर्मा ने दूसरे के माध्यम से मुझ पर दबाव बनवाने की कोशिश कर रहे हैं। कहलवाया जा रहा है कि जेल भिजवा दुंगा, मेरा पावर देखा नहीं है।

लोग शिकायत करते रहते हैं
सीएसवीटीयू के कुलपति एमके वर्मा ने शिकायत मामले पर कहा था कि लोग शिकायत करते रहे हैं। ऐसे कई मामले हैं।

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