रायपुर। कोरोना काल में स्कूलों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है। इसका असर बच्चों के एजुकेशन स्तर पर भी पड़ा है। इस क्षति को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा एक मार्च से स्पेशल प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसे लेकर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सभी जिला शिक्षाअधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है। यह स्पेशल प्रोग्राम 1 मार्च से 14 मई तक चलाया जाएगा। वहीं पूरे प्रोग्राम की मॉनिटरिंग बाहरी एजेंसी करेगी।

स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ कमल प्रीत सिंह ने कहा है कि जिला विकासखण्ड एवं संकुल स्तर पर शिक्षकों, शाला प्रबंधन समिति एवं पालकों के साथ प्रत्यक्ष एवं ऑनलाइन वेबीनारों का आयोजन किया जाए। कोरोना लॉकडाउन से के कारण हुए  नुकसान, बच्चों के दिनचर्या एवं व्यवहार में बदलाव, स्कूली शिक्षा के नुकसान की भरपाई के लिए विशेष कार्यक्रम चलाया जाए। इसके लिए पालकों की ओर से बच्चों के सीखने में सहयोग देने प्रस्ताव लेकर निर्णय लिया जाए।

उन्होंने कहा है कि पढ़ाई तुंहर दुआर पार्ट-2 के अंतर्गत इस अविध में बच्चों की लर्निंग रिकव्हरी के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की डिजाईन करने की जिम्मेदारी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को दिया जाएगा। उन्हें विकासखण्ड स्तर पर भी स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर विशेष योजना बनाकर कार्य करने का अवसर दिया जाएगा। 1 मार्च से 14 मई तक के अवधि में बच्चों के आंकलन के बदले उनके सीखने पर फोकस किया जाएगा।

उन्होंने कहा है कि कक्षा संचालन का समय भी शाला प्रबंधन समिति एवं पालकों के अभिमत के आधार पर तय किया जाएगा। पढ़ाई में सहयोग के लिए पूर्व की भांति समुदाय से शिक्षा सारथी के रूप में सहयोग प्रदान किया जाएगा। बच्चों को एक दूसरे से सीखने, छोटे-छोटे समूह में बैठकर सीखने पर जोर दिया जाएगा। पालकांे को भी शाला अवधि के अलावा घर पर भी पढ़ाई में ध्यान देने के लिए आवश्यक माहौल बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा है कि राज्य में एनआईसी के सहयोग से विकसित टेली-प्रेक्टिस के माध्यम से अधिक से अधिक ऐसे बच्चों को शामिल किया जाएगा, जिनके पालकों के पास स्मार्ट फोन हैं, ताकि उन्हें घर पर रहकर टेक्नॉलाजी का उपयोग कर अभ्यास करने का अवसर उपलब्ध कराया जा सके। टेली-प्रेक्टीज का उपयोग अभ्यास के साथ-साथ बच्चों के आंकलन के लिए भी किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा है कि अकादमिक निरीक्षण व्यवस्था को कड़ाई से लागू किया जाएगा और निरीक्षण का पूरा फोकस बच्चों की उपलब्धि में सुधार किया जाना होगा। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर स्कूलो के निरीक्षण निर्धारित कोटे के अनुसार निरीक्षण कर सुधार कार्य किया जाना आवश्यक होगा। अच्छे कार्य कर रहे शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की भी व्यवस्था की जाएगी।

उन्होंने कहा है कि कार्यक्रम क्रियान्वयन के लिए जिला, विकासखण्ड और संकुल स्तर पर प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी को सक्रिया किया जाएगा और उनके माध्यम से सभी शिक्षकों मेंटरिंग की सुविधा देते हुए कार्यक्रम क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। शिक्षकों के प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी के माध्यम से स्थानीय स्तर पर सीखने में सहयोग के लिए सामग्री विकसित की जाएगी। शिक्षक सोशल मीडिया से जुड़कर एक दूसरे से सीखने में आवश्यक सहयोग ले सकेंगे।

उन्होंने कहा है कि बच्चों को आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए तैयार करने हेतु एससीइआरटी के माध्यम से स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम शीघ्र प्रारंभ करने के लिए तीन माह शाला तैयारी मोड्यूल लागू किया जाएगा। कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों में विभिन्न रोचक गतिविधियों के माध्यम से मूलभूत दक्षताओं का विकास किया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों का भी उन्मूखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

उन्होंने कहा है कि कक्षा तीसरी से पांचवी तक समग्र शिक्षा के माध्यम से उपचारात्मक शिक्षण के लिए सरल कार्यक्रम, कक्षा 6वीं से 8वीं तक एससीइआरटी के सहयोग से नवा जतन कार्यक्रम और कक्षा 9वीं से 12वीं तक के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से विशेष उपचारात्मक कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। विद्यार्थी विकास सूचकांक के माध्यम से इस पर कक्षावार निगरानी की व्यवस्था की जाए।