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गरियाबंद। कमिशनखोरी और लाभ कमाने के चक्कर में केंद्र की समग्र शिक्षा योजना में बड़ा खेल कर दिया गया है। लाभ कमाने के चक्कर में बच्चों की खेल सामग्री स्तरहीन उपलब्ध कराई गई है, जो अनुपयोगी है। स्कूलों के खाते में पूरे पैसे डालने की बजाए 70 फीसदी की कटौती कर भेज दी गई।

इसमें भ्रष्टाचार ऐसा किया गया कि प्लास्टिक की अनुपयोगी खेल सामग्री बिलासपुर के दो और रायपुर के एक फर्म ने पिछले 10 दिनों में 86 लाख की खेल सामग्री स्कूलों में पटक दी गई। बड़ी बात यह है कि सीएम के बंदिश के बावजूद छतीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन बजाए जेम (गौरमेंट ई मार्केट) से खरीदी कर बड़ा खेल किया गया है।

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खेल सामग्री मिलने के बाद स्कूल से दी गई पावती।

मामले में जानकारी अनुसार केंद्र सरकार द्वारा संचालित समग्र शिक्षा अभियान के खेल मद से जिले के प्रत्येक 975 प्राथमिक स्कूल को 5450 मिडिल स्कूलों को 10145 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों को 25 हजार के मान से कुल 1 करोड़ 30 लाख रुपये की मंजूरी दी थी। पैसे 28 फरवरी के पहले खर्च कर उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को भेजना था। नियम के मुताबिक सामग्री का क्रय स्थानीय शिक्षा समिति को करना था, पर प्रदेश के सम्रग शिक्षा अभियान विभाग ने स्वीकृत राशि में 70 फीसदी राशि यानि 86 लाख रुपये की कटौती कर 30 फीसदी राशि 43 लाख 87,800 स्कूलों के खाते में जमा करवा दिया।

इधर मूल राशि से कटौती किए गए रुपए से प्राथमिक स्कूलों में खंडेलवाल सेल्स कार्पोरेशन बिलासपुर, मिडिल स्कूलों में हंसराज साईंटिफिक और मेटल वर्क्स बिलासपुर और हाई/हायर सेकेंडरी स्कूलों में गोयल फर्नीचर रायपुर से खेल सामग्री की सप्लाई की गई। सप्लाई की गई खेल सामग्री स्तरहीन हल्के प्लास्टिक के हैं। वहीं खेल सामग्री के तय मात्रा और प्रकार में भी कमी की गई है।

जानकारों के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों को दिए गए सामान खुले बाजार में 1500 में तो मिडिल स्कूल के सामान 2500 और हाई व हायर के सामग्री 5000 के भीतर बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे। बताया जा रहा है यह केवल एक जिले में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हाई लेबल पर गड़बड़ी की गई है। शायद यही वजह है कि मामले में सवाल का जवाब देने के बजाय डीईओ करमन खटकर ने चुप्पी साध कर हाथ खड़े कर लिए।

इस गड़बड़ी में समग्र शिक्षा अभियान के संचालक नरेंद्र दुग्गा ने कहा कि सीएसआईडीसी (छतीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसियों से पैनल तैयार कर विधिवत सामग्री का क्रय किया गया है। एजेंसियों ने गुणवत्ता को लेकर इंश्योर सर्टिफिकेट दिया है, जबकि जिला द्वारा क्रय करने पर इसका पालन नहीं होता। काटी गई 70 फीसदी राशि से खेल सामग्री की सप्लाई की गई है। हर साल इस मद से खेल सामग्री खरीदी की जाती है।

गुणवत्ता युक्त शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य सफाई व अन्य गतिविधियों के संचालन के लिए केंद्र सरकार 4 अगस्त 2021 को शुरू किए गए समग्र शिक्षा अभियान के तहत हर साल पूरे राज्य में अनुदान भेजती है। नई शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश के अनुरूप इस अभियान को शुरु किया गया है।

स्थानीय स्कूल समिति को खरीदी का अधिकार नियम के मुताबिक इस योजना में सामान की खरीदी का प्रावधान स्थानीय स्कूल समिति को है, जो स्थानीय स्तर पर बच्चों की आवश्यकता को समझ कर खरीदी का निर्णय लेते हैं, चूंकि पिछले सत्र खेलगढिया के तहत पर्याप्त खेल सामग्री खरीदी गई थी। इस साल वही सामान दोबारा खपाया गया। पिछले साल की तुलना में इस बार की सामग्री कमजोर व अनुपयोगी साबित होगी।