नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि भारत में लोकतंत्र तभी तक है, जब तक हिंदू बहुल है। नोएडा के भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में जागृति प्रकाशन द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि देश के विभाजन के साक्षी रहे लोगों के संस्मरण और चित्र को एकत्र करके तथ्यों के साथ संजोने का कार्य पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ खंड तीन और चार में किया गया है।

उस समय हिंदू समाज के साथ हुए अत्याचार के साक्षी रहे 350 लोगों का साक्षात्कार कर विस्तृत वर्णन सभी खंड में दिया गया है। पुस्तक विभाजन के दर्द को समझने में संदर्भ का काम करेगी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने विभाजन देखा, वे राष्ट्रवाद के पथ प्रदर्शक और पथ प्रदर्शक हैं। देश तब तक लोकतांत्रिक रहेगा जब तक वह हिंदू बहुल है। यह किताब इतिहास के काले हिस्से पर प्रकाश डालती है। भारत एक संस्कृति, एक राष्ट्र और एक व्यक्ति है।

इतिहास को समझने की जरूरत है
होसबोले ने कहा कि 16 अगस्त 1946 के बाद मुस्लिम लीग द्वारा शुरू की गई सीधी कार्रवाई ने दिखाया कि मानवता कितनी नीचे जा सकती है। आज भी दुनिया के कई हिस्सों में कट्टरपंथी, जिहादी मानसिकता हिंसक काम करने का काम कर रही है। इसलिए इतिहास को समझने के बाद कार्रवाई करने की जरूरत है।

होसबले ने कहा कि इस किताब ने युवाओं में देशभक्ति की मिसाल पेश की है। इसे आगे ले जाने की जरूरत है। जिन्होंने विभाजन देखा और आने वाली पीढ़ियों को भयानक सच्चाई के बारे में बताया, उन लोगों के प्रति देश को आभारी रहना चाहिए।

… तो जन्म लेती है भारत विरोधी मानसिकता
जहां हिंदू का पतन होता है, वहां भारत विरोधी मानसिकता जन्म लेती है। भारत में भी पाकिस्तान समर्थक मानसिकता पैदा करने का काम किया गया है। भारत की राष्ट्रीयता सदियों से चली आ रही परंपरा से आती है। हमने अखंड भारत के संकल्प को संजोया है। मैं भविष्य की ओर देख रहा हूं, जब भारत एकजुट होगा।

बंटवारा कभी न खत्म होने वाला दर्द
पुस्तक के लेखक कृष्ण नंद सागर ने कहा कि आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने खंड एक और दो के विमोचन में कहा था कि मातृभूमि का विभाजन कभी न खत्म होने वाला दर्द है। विभाजन के समय अत्याचार मुस्लिम लीग ने नहीं, मुस्लिम समाज ने किए थे। इसका नेतृत्व मुस्लिम लीग ने किया था। विभाजन के समय उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और बंगाल सहित अन्य राज्यों के मुसलमानों की भूमिका का वर्णन किया गया है।