वाराणसी। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद में किए गए सर्वे का वीडियो लीक होने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताते हुए कहा है कि वीडियो फर्जी भी हो सकता है।

सांसद ने कहा है कि अगर यह वीडियो सच भी है, तो ज्ञानवापी मस्जिद थी, है और रहेगी। असदुद्दीन ओवैसी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मीडिया में चलाए जा रहे वीडियो बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में जजों ने कहा कि मीडिया को नहीं चलाना चाहिए। यह चुन-चुनकर कौन दे रहा है? आप लीक, कुछ भी करो, 1991 का अधिनियम है। अधिनियम के अनुसार, 1947 में एक मस्जिद थी, एक मस्जिद है और एक मस्जिद ही रहेगी। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर भी सवाल उठाए और पूछा कि पार्टी चुप क्यों है।

ओवैसी ने कांग्रेस पर उठाए सवाल

ओवैसी ने आगे कहा कि सबसे अहम सवाल यह है कि मुझ पर आरोप लगाने वाली कांग्रेस पार्टी गूंगी क्यों रहती है। यह कानून आपकी ही सरकार ने बनाया था। 1991 की संसद की बहस देखें, तो उमा भारती चिल्लाई थीं कि ज्ञानवापी का क्या होगा। बीजेपी वह प्रस्ताव हार गया। यह संसद की वसीयत में शामिल है। 1991 का एक अधिनियम है, आप कुछ नहीं कर सकते। वीडियो कुछ भी होगा।

1991 में, हमने एक कानून बनाया। पहली बात मुझे वीडियो पर विश्वास नहीं है, हो सकता है इसे एडिट किया गया हो। वीडियो सच भी हो तो भी कानून है।

वीडियो लीक में किसका हाथ?

वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण की कॉपी हिंदू पक्ष के वादियों को सौंपने का आदेश दिया। वादी ने हलफनामे के माध्यम से शपथ पत्र दिया है कि वे वीडियोग्राफी सर्वेक्षण की कॉपी का दुरुपयोग या लीक नहीं करेंगे।

हालांकि, शाम को वीडियो लीक हो गया। इसे टालते हुए वादी ने मंगलवार को सीलबंद लिफाफे को अदालत में पेश कर जांच की मांग की। अदालत ने लिफाफे वापस नहीं लिए, लेकिन जांच के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।