रायपुर। इन दिनों हसदेव अरण्य का मुद्दा प्रदेश का हॉट टॉपिक बन गया है। क्योंकि इसमें एक ओर सरकार है और दूसरी सरकार के एक मंत्री। मंत्री जहां हरदेव अरण्य को उजाड़कर कोयला खनन किए जाने का विरोध कर रहे हैं वहीं सरकार चाहती है कि वहां कोयला खनन हो और पॉवर प्लांट को बिजली पहुंचे ताकि देश में बिजली संकट पैदा न हो।

हम यहां बात कर रहे हैं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की। सोमवार को उन्होंने हसदेव अरण्य की कटाई के विरोध में संघर्षरत ग्रामीणों से मिले और पेड़ों की कटाई का विरोध किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जंगलों को उजाड़ कर कोयला खनन करना गलत है। वहीं मंगलवार को सिंहदेव के इस बयान के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान आया। नवा रायपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए सीएम बघेल ने कहा टीएस सिंहदेव की अनुमति के बिना हसदेव अरण्य में पेड़ तो क्या एक डंगाल भी नहीं काटी जाएगी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरगुजा क्षेत्र व हसदेव अरण्य हमारे बाबा साहब के विधानसभा में आता है और उनकी मर्जी के बिना वहां पेड़ों की कटाई नहीं होगी। सीएम बघेल इस दौरान भाजपा पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक आबंटन का काम केन्द्र सरकार है। यहां के भाजपा नेता राजनीति करने के बजाय केन्द्र से कोल ब्लॉक आबंटन निरस्त करवाएं। इनका आबंटन निरस्त होगा तो खनन भी नहीं होगा।

क्या है हसदेव अरण्य का मामला
बता दें हसदेव अरण्य सरगुजा, कोरबा क्षेत्र को समृद्ध वनक्षेत्र है। इस क्षेत्र में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को चार कोयला खदानें आवंटित की गई है। 2012 से एक खदान में खनन हो रहा है। अब इसके विस्तार की प्रकिया चर रही है। इसकी स्वीकृति भी मिल चुकी है। कंपनी इसके लिए 841 हेक्टेयर जंगल को काटेगी। इससे दो गांव विस्थापित होंगे। वहीं ग्रामीण इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं।