रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में शुक्रवार को उनके निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् की दूसरी बैठक हुई। बैठक में मुख्यमंत्री ने शिल्प कलाओं की चर्चा के दौरान कहा कि लौह और बेल मेटल शिल्प कला की ऐसी उपयोगी कलात्मक वस्तुएं तैयार की जाएं, जिनका घर-घर में उपयोग हो सके। इससे ऐसी वस्तुओं को अच्छा बाजार मिलेगा, व्यवसायिक विस्तार होगा और इन कलाओं में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

इस मौके पर छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक परिषद् को साहित्य अकादमी, कला अकादमी, आदिवासी एवं लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग और छत्तीसगढ़ सिन्धी अकादमी के 127 आयोजनों के लिए 4 करोड़ 93 लाख रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई। मुख्यमंत्री बघेल ने बैठक में चर्चा के दौरान कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम और कार्यशाला राज्य के सभी संभागीय मुख्यालयों में आयोजित की जाएं।

उन्होंने कहा कि लोक कला, संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम केवल राजधानी तक ही सीमित न रहें, राज्य के सभी संभागीय मुख्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। लोक संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए ऐसे आयोजनों का विकेंद्रीकरण किया जाना चाहिए। उन्होंने इंदिरा संगीत एवं कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ के अंतर्गत रायगढ़ में भी संगीत एवं नृत्य महाविद्यालय खोलने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। इस मौके पर संस्कृति परिषद् के सदस्यों ने कार्यक्रमों के आयोजनों के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार और छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् के सदस्य विनोद वर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, संस्कृति विभाग के सचिव अंनबलगन पी., संचालक विवेक आचार्य सहित परिषद् के सदस्य भूपेश तिवारी, सुनीता वर्मा, भूपेन्द्र साहू, कालीचरण यादव, वासंती वैष्णव, ईश्वर सिंह दोस्त, ललित कुमार, रामकुमार तिवारी, नवल शुक्ल व् योगेन्द्र त्रिपाठी उपस्थित थे।