सीआईएनए, डेस्क। हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह Jupiter यानि बृहस्पति है। यह आकार में इतना बड़ा है, की अगर सारे ग्रहों को मिला भी दिया जाये तो भी यह उनसे 2.5 गुना बड़ा ही निकलेगा। इसके बारे में कहा जाता हैं कि यह हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से मिलकर बना है। लेकिन इसके निर्माण में भी दूसरे गैसीय ग्रहों की तरह धातु का इस्तेमाल हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें जो धातु मौजूद हैं वो इसने दूसरे ग्रहों से ली थीं। या कह सकते है की सूक्ष्म ग्रहों को पूरा का पूरा बृहस्पति अपने अंदर निगल चुका है।

वैज्ञानिकों ने बृहस्पति ग्रह के निर्माण में शामिल होने वाले एलिमेंट्स का पता लगा लिया है। वैज्ञानिकों ने Gravity Science यंत्र का इस्तेमाल करके नासा के स्पेस क्राफ्ट जूनो (Juno) के माध्यम से ऐसा किया है । बृहस्पति के ऑर्बिट में जूनो को 2016 में उतारा गया था। Juno का नाम भी जुपिटर पे ही आधारित है। इसका नाम जूनो रोमन गॉड जुपिटर से विवाह करने वाली रोमन फीमेल गॉड के नाम पर रखा गया है। इसने ग्रह के ग्रेविटेशनल फील्ड को मापने के लिए वहां पर रेडियो वेव्ज का इस्तेमाल किया।

वैज्ञानिकों ने पाया कि धातु जैसे तत्व बृहस्पति ग्रह के गर्भ में मौजूद हैं। जो की धरती के आकार से 10 से 30 गुना तक हो सकता है। ये धातु ग्रह के ठीक केंद्र के पास स्थित हैं। बृहस्पति के लिए मेटल इकट्ठा करना दो ही तरीके से हो सकता है। या तो धातु के छोटे छोटे टुकड़े इसमें जाकर इकट्ठे हुए हैं, या फिर ग्रहों को अपने अंदर निगल लिया है। लेखक यामिला मिग्यूल ने कहा इस स्टडी को Jupiter’s inhomogeneous envelope का शीर्षक दिया गया है।

अंतरिक्ष में मौजूद बड़े पिंडों को जो छोटे ग्रह जैसे होते हैं Planetesimals कहा जाता है।ये अंतरिक्ष में मौजूद धूल और कणों से मिलकर बने होते हैं। और जब ये आकार में एक किलोमीटर तक के बड़े हो जाते हैं तो इनका अपना एक गुरुत्वाकर्षण बल पैदा हो जाता है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ये दूसरे टुकड़ों को खींचकर धीरे-धीरे आकार में ग्रहों के जितने बड़े होते चले जाते हैं।