सीआईएनए, डेस्क। स्‍पेस मिशन की बात की जाये तो एशिया में भारत, चीन और जापान के माहिर खिलाड़ी हैं। मंगलवार को साउथ कोरिया ने अपनी दूसरी कोशिश में पहला घरेलू निर्मित अंतरिक्ष रॉकेट नूरी को लॉन्च किया। साउथ कोरिया ने कुछ महीनों पहले भी कोशिश की थी, लेकिन तब उसका रॉकेट ऑर्बिट में पेलोड नहीं लगा पाया था। मंगलवार को मिली कामयाबी से साउथ कोरिया के अंतरिक्ष मिशनों को बढ़ावा मिलेगा। और ऐसा करने वाला दुनिया का 10वां देश बन जाएगा .साथ ही वह अपने प्रतिद्वंदी नॉर्थ कोरिया आगे निकलता हुआ दिखाई देगा।

रिपोर्ट के अनुसार, साउथ कोरिया ने पिछले अक्टूबर में पहली बार कोशिश की थी। तब वो नाकामयाब हुआ था। उसका रॉकेट का डमी पेलोड 435 मील लगभग की ऊंचाई तक तो पहुंच पर ऑर्बिट में प्रवेश नहीं कर पाया था। जिसकी वजह थी रॉकेट का थर्ड स्‍टेज के समय से पहले जल जाना। साउथ कोरिया ने मंगलवार को एक बार फ‍िर कोशिश की और अपने इकलौते स्‍पेस लॉन्‍च सेंटर से शाम 4 बजे तीन स्‍टेज वाले नूरी रॉकेट ने उड़ान भरी। अगर यह लॉन्‍च पूरी तरह से सफल होता है, तो अंतरिक्ष में सैटेलाइट स्थापित करने वाला दुनिया का वो 10वां देश बन जाएगा। वो भी अपनी तकनीक से। विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था होने के बाद भी स्‍पेस डेवलपमेंट प्रोग्राम में वो भारत, चीन और जापान जैसे एशियाई मुल्‍कों से पीछे है।

बात दे कि 1990 के दशक की शुरुआत से दक्षिण कोरिया ने विदेशी लॉन्‍च साइटों से अंतरिक्ष में कई सैटेलाइट्स भेजे थे। अपनी जमीन से साल 2013 में पहली बार साउथ कोरिया ने सैटेलाइट लॉन्‍च किया था।जिसका पहला फेज रूस ने बनाया था। साउथ कोरिया ने कन्‍फर्म किया है की इस लॉन्‍च का कोई सैन्‍य मकसद नहीं है। साउथ कोरिया के प्रतिद्वंदी नॉर्थ कोरिया ने साल 2012 और 2016 में अपने पहले और दूसरे सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में भेजा था। लेकिन उन सैटेलाइट्स ने कभी अंतरिक्ष से कोई डेटा पृथ्‍वी पर भेजा ऐसी कोई जानकारी नहीं है।