नई दिल्ली। देशभर में सोशल मीडिया या ऑनलाइन गेम से बच्चे हिंसक हो रहे हैं। विशेषज्ञ इन घटनाओं में ऑनलाइन गेम, सोशल मीडिया व इंटरनेट के घंटों इस्तेमाल से बच्चे व किशोरों में हिंसक व्यवहार होना मुख्य कारण मानते हैं।अध्ययन के अनुसार सोशल मीडिया पर सक्रिय 10 में से तीन बच्चे अवसाद, भय, चिंता के साथ चिड़चिड़ेपन के शिकार हैं। किसी का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, तो कुछ बगैर फोन खाना तक नहीं खा पाते।

बंेगलूरू स्थित राष्ट्रीय मानसिक जांच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निम्हांस) के अनुसार, देश के 73 फीसदी बच्चे मोबाइल यूजर्स हैं। इनमें 30ः मनोविकार से पीड़ित हैं। नई दिल्ली एम्स के मनोचिकित्सक डॉ. यतन पाल सिंह बताते हैं, उनके यहां महीने में 15 से 16 बच्चे काउंसलिंग के लिए आते हैं, जिनमें से 90 फीसदी तक मॉडरेट व क्रोनिक स्थिति वाले हैं। यानी लक्षण तीसरी या फिर चौथी स्टेज जैसे दिखाई दे रहे हैं।

निम्हांस के अनुसार हर सप्ताह देशभर में मनोचिकित्सकों के पास सोशल मीडिया की लत से परेशान औसतन 10 मामले पहुंचते हैं, जिनमें 12 साल से भी कम उम्र के हैं। दिल्ली एम्स में हर शनिवार संचालित क्लीनिक में साइबर बुलिंग के मामले आ रहे हैं। इनमें अधिकांश कॉलेज छात्राएं हैं। ऑनलाइन स्टडी एंड इंटरनेट एडिक्शन अध्ययन के अनुसार, 50ः से ज्यादा साइबर बुलिंग के मामले दर्ज नहीं होते क्यूंकि लड़कियां अपनी परेशानी साझा नहीं कर पाती हैं और धीरे-धीरे अवसाद से ग्रस्त होने लगती हैं।

लक्षण ऐसे समझिए

  • अगर कोई स्क्रीन के सामने लंबा वक्त बिता रहा है तो यह एक बड़ा लक्षण है।
  • परफॉर्मेंस घटना, चिड़चिड़ापन, नींद न आना, धैर्य खोना, गुस्सा आना।
  • एम्स क्लीनिक में साइबर बुलिंग के मामले भी आ रहे, पीड़ितों में लड़कियां सबसे अधिक, 10 में से एक किशोर साइबर बुलिंग का शिकार
  • चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के अध्ययन के अनुसार, दिल्ली जैसे महानगरों में 10 में से एक किशोर साइबर बुलिंग का शिकार है।