KORBA. जिले का आदिवासी बाहुल्य गांव नकटीखार में पिछले कुछ दिनों से मधुमक्खियों की हमलों से दहशत बनी हुई है। गांव में आए गिद्ध के कारण यह समस्या खड़ी हुई है। मधुमक्खियों से बचने के लिए लोगों को कई प्रकार की तकनीक अपनानी पड़ रही है । जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूर नकटीखार गांव में यहां वहां सड़क पर जलती हुई आग यह बताने के लिए काफी है कि मामला असामान्य है। लोग सहमे हुए हैं। माहौल भी कुछ अजीब सा है, सड़कों में खामोशी है। इससे पता चलता है कि लोग परेशान हैं।

मसला यह है कि यहां पर कुछ दिनों से मधुमक्खियों ने गांव के पास पेड़ में अपना डेरा जमा रखा है। बार-बार उनके ठिकाने पर एक गिद्ध आक्रमण करता है। प्रतिक्रिया होने पर स्थिति बदल जाती है और फिर इसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ता है। गांव में ये स्थिति पिछले तीन दिन से बनी है, लोग जैसे ही घर से निकलते हैं मधुमक्खी हमला कर देती हैं। लोग घर से निकलते से पहले सोचते हैं कि वो कैसे निकले ? लोग मधुमखियों से बचने हेलमेट और कम्बल का सहारा ले रहे हैं उसके बाद भी लोग नहीं बच पा रहे हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जगह जगह धुंआ जलाया जा रहा है ताकि धुंए से भाग सके। एक ग्रामीण लक्ष्मी बाई ने बताया कि उसका पति ज्ञानदास लकवा ग्रस्त है, बीमार है चलने में दिक्कत होती है। गांव के दुकान में बीड़ी लेने गया हुआ था इस दौरान मधुमखियों ने हमला कर दिया। घटना की सूचना पर परिजन पहुंचे और जैसे तैसे घर लेकर पहुंचे, लेकिन उतने पर भी मधुमक्खी घर तक पहुंच गईं। बुजुर्ग को एक कमरे में बन्द कर उसकी जान बचाई गयी।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक दर्जन से अधिक लोगों को मधुमक्खियों ने हमला कर घायल किया है। मधुमक्खियों के द्वारा हमला करने से यहां पर लोगों को काफी कड़वे अनुभव हो रहे हैं। इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने पड़ रहे हैं। गांव में बनी हुई इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए हर कोई चिंतित है और बेचैन भी। अब तक ऐसा कोई तरीका लोगों को नजर नहीं आ रहा है, जिससे कि वह इस परेशानी से मुक्त हो सकें। लोगों को इंतजार है कि मधुमक्खियां इस गांव को छोड़ें ताकि उन्हें राहत मिल सके।।