रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हाथों स्वच्छता पुरस्कार दिया गया था। सर्वाधिक स्वच्छ प्रदेश का खिताब लेकर जब वह रायपुर एयरपोर्ट पहुंचे, तो पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ जनता ने उनका जोरदार स्वागत किया। माला पहनाई गई और लोगों ने उन्हें हाथों-हाथ उठा लिया। हो भी क्यों न, स्वच्छता के क्षेत्र में राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले 239 पुरस्कारों में से 67 पुरस्कार छत्तीसगढ़ को ही मिले हैं, जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।

इस सफलता को दिलाने में 10 हजार से अधिक स्वच्छता दीदियों का अहम योगदान है। वे गांवों के सात हजार 500 से अधिक गौठानों में लगभग पांच हजार स्व सहायता समूहों की 70 हजार महिलाएं विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण को बेहतर बनाने में जुटी हुई हैं। नरवा-गरवा-घुरवा-बारी कार्यक्रम से स्वच्छता अभियान को जोड़ा।

इसके साथ ही प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन पर जोर दिया गया। 6-R पॉलिसी यानी रीथिंक, रियूज, रिसाइकिल, रिपेयर, रिड्यूस, रिफ्यूज के आधार पर काम किया इससे नए अपशिष्ट बनने की मात्रा कम होने लगी। बस्तियों में सामुदायिक और सार्वजानिक शौचालय बनाए गए।
मानव मल प्रबंधन के लिए फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए, जहां सीवर का पानी ट्रीट होता है। लोगों को जागरुक करने के लिए स्वच्छता दीदियों ने घर-घर जाकर लोगों को गीला-सूखा कचरा अलग रखने के लिए प्रशिक्षण दिया।

नागरिकों की स्वच्छता संबंधी शिकायतों को 24 घंटे के अंदर निपटान के लिए टोल फ्री नम्बर 1100 की व्यवस्था की गई। गूगल से सभी सार्वजानिक एवं सामुदायिक शौचालयों को जोड़ा गया ताकि लोग अपने आस-पास के शौचालय को फोन पर ही सर्च कर सकें। गोधन न्याय योजना से सफाई और आमदनी दोनों बढ़ी।

छत्तीसगढ़ मॉडल चलेगा… 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस दौरान कहा छत्तीसगढ़ ने कीर्तिमान रचा है। इसके लिए सभी छत्तीसगढ़वासियों को बधाई देता हूं। छत्तीसगढ़ को तीसरी बार प्रथम पुरस्कार मिला है। इसे बरकार रखना हमारे लिए चुनौती। हमने छत्तीसगढ़ में सफाई को अर्थव्यवस्था से जोड़ा है। देश में अब छत्तीसगढ़ मॉडल ही चलेगा, गुजरात का मॉडल तो फेल हो गया।

वहीं बीजेपी द्वारा किए गए चक्काजाम को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि मैंने पीएम और वित्त मंत्री को भी पत्र लिखा है। बीजेपी को तो केंद्र द्वारा लगाई गई सेस को खत्म करने की मांग करनी चाहिए। साल 2014 से पहले जो एक्साइज ड्यूटी तीन रुपए और नौ रुपए थी, उसी स्तर पर वापस ले आएं, तो पेट्रोल और डीजल के भाव अपने आप कम हो जाएंगे।

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