छत्तीसगढ़ सरकार की सख्ती और कोर्ट से राहत मिलती न देख राजनीतिक संरक्षण तलाश रहे थे जीपी

रायपुर| आय से अधिक संपत्ति मामले में गिरफ्तार आईएएस जीपी सिंह को लेकर एक नयी बात सामने आ रही है। दिल्ली के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो जीपी सिंह गिरफ्तारी से बचने के लिए भाजपा नेताओं के संपर्क में भी थे। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि देरसबेर जीपी भाजपा में भी जा सकते हैं। बता दें कि आय से अधिक संपत्ति और देशद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने करीब छह माह पहले आईपीएस जीपी सिंह को निलंबित कर दिया था। इसके बाद से वे गायब थे। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार किया था।

निलंबित आईपीएस का विवादों से पुराना नाता है। पूर्व की भाजपा सरकार में उन्हें पावरफुल अफसर माना जाता था। उनका सबसे बड़ा विवाद 2012 का है। जब जीपी सिंह बिलासपुर में बतौर आईजी नियुक्त थे, तब बिलासपुर एसपी ने आत्महत्या कर ली थी। इसका जिम्मेदार जीपी सिंह को बताया गया था। हालांकि सीबीआई ने जाँच की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। उस समय भी चर्चा रही कि जीपी सिंह को सरकार का संरक्षण होने के कारण कुछ नहीं हुआ।

इसके बाद सूबे के एक अन्य आईपीएस से उनकी ठान जाने की चर्चा रही. लेकिन ये आईपीएस जीपी पर भारी पड़े। लेकिन भाजपा सरकार में जीपी की पकड़ को देखकर उक्त आईपीएस ने डेपुटेशन पर दिल्ली जाना बेहतर समझा। लेकिन अब समय बदल चुका है। सरकार बदलने पर लेखा जोखा शुरू हुआ और जीपी उसी पुलिस की गिरफ्त में हैं जो कभी उनके इशारों पर चलती थी। एसीबी और ईओडब्ल्यू उनसे पूछताछ कर रही।

सरकार की सख्ती देखकर जीपी सिंह करीब छह महीने पूर्व फरार हो गए थे और न्यायालय से जमानत की जुगाड़ लगा रहे थे। जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत ख़ारिज कर दी तो जीपी भूमिगत हो गए। दिल्ली के पत्रकारों के अनुसार जीपी गिरफ्तारी से बचने के लिए भाजपा नेताओं के संपर्क में थे। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे भाजपा में भी जा सकते हैं।