भिलाई। दुर्ग में एक वाकया सामने आया है, जो सभी को जीवन में अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराएगा। एक ऐसा व्यक्त जो प्रतिदिन लोगों के दान से जीवन चला रहा है वह उसी पैसे को एक सेवा समिति को समर्पित कर दिया।

सनातन धर्म के अनुसार हर व्यक्ति को अपनी कमाई का एक हिस्सा धर्म में, अच्छे काम में लगाना चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है। शायद उसके मन में भी यही बात आई और अपने कर्तव्य के निर्वहन के लिए अपने पास रखे दान के पैसे को संस्था को दान कर दिया।

यह बात दुर्ग में सामने आई है। एक बुजुर्ग जो लोगों के दिए भीख से जीवन-यापन करता है। उसी से भोजन के साथ अन्य जरूरतों को पूरा करता है। उसने पिछले कई दिनों से लोगों से मिले भीख के पैसे को इकट्ठा कर जन समर्पण सेवा संस्था को समर्पित कर दिया।

बता दें कि विगत 5 वर्षों से जन समर्पण सेवा संस्था, दुर्ग प्रतिदिन लगभग 100 से अधिक जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन वितरण करती है। जोकि प्रतिदिन दुर्ग रेलवे स्टेशन सहित शहर के अन्य स्थानों पर जाकर फुटपात में रहने वाले हर जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाती है। जरूरत की सामग्री वितरित करती है।

जन समर्पण सेवा संस्था के अध्यक्ष योगेन्द्र शर्मा बंटी ने बताया कि प्रतिदिन की तरह तीन मार्च को संस्था के सभी सदस्य भोजन लेकर दुर्ग स्टेशन पहुंचे थे। जहां जरूरतमंद निःशक्त, बुजुर्ग एवं महिलाएं हमारा इंतजार करते बैठे थे। उन जरूरतमंदों में से एक बुजुर्ग जो विगत एक साल से संस्था के माध्यम से प्रतिदिन भोजन करता है वह ऐसा उदाहरण पेश किया कि सभी साथी हतप्रभ रह गए।

योगेन्द्र शर्मा बंटी ने बताया जो सोच उस बुजुर्ग की है वह हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। उस बुजुर्ग को देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता कि मानवता की सेवा करने में इस शख्स ने बड़े-बड़े धनाड्यों को पीछे छोड़ दिया है। दुबला पतला शरीर से अशक्त, बोलने में असमर्थ, पैर से निःशक्त, सफेद उलझी दाढ़ी, मैला कुर्ता-धोती पहने, माथे पर तिलक लगाए बुजुर्ग भोजन के बाद अपने हाव-भाव से हमें कुछ कहने की कोशिश कर रहा था।

इसी दौरान संस्था के सदस्यों के सामने बुजुर्ग ने भीख से मिले पैसे को दिखाया, जिसे उन्होंने कुछ दिनों में इकट्ठा किया हुआ था। उसने अपने पास रखी कई थैलियां (पोटली) जिसमें पैसे बांध रखे थे निकाला, जिसमें सिक्कों के साथ नोट भी शामिल थे को संस्था के अध्यक्ष बंटी शर्मा को थमाकर गिनने को कहा और इशारे में ही पैसों को रखने के लिए कह दिया। बुजुर्ग ने इशारे में ही उस पैसे से सभी जरूरतमंदों को एक दिन भोजन कराने को कहा। संस्था ने बताया उनकी पोटली में 511 रुपए मिले।