बर्लिन। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी और फ्रांस चाहकर भी अगर रूस के खिलाफ नहीं बोल पा रहे हैं, तो इसका कारण रूसी हथियारों का खौफ नहीं है। आप सोच रहे होंगे तो फिर ऐसा क्या है, जो यूरोपीय देशों को डरा रहा है। वह है रूस से खरीदी जाने वाली गैस, कोयला और पेट्रोलियम पदार्थ। अगर रूस ने इन पदार्थों की आपूर्ति बंद कर दी, तो जर्मनी और फ्रांस के साथ ही कई यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो जाएगी। यूरोप के पास इसका कोई विकल्प नहीं है।

यह बात जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्स खुद स्वीकार कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी न केवल गैस के लिए बल्कि तेल और कोयले के लिए भी रूस पर निर्भर है, जिसे वह कम करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, यह सब एक साथ नहीं किया जा सकता है। ओलाफ ने कहा कि गैस के अचानक बंद होने से देश के अस्पतालों, देखभाल घरों और स्कूलों को गर्म रखना मुश्किल हो जाएगा। उद्योग ठप हो जाएंगे और नौकरियों पर संकट आ जाएगा।

लिहाजा, रूस से गैस, तेल और कोयले का आयात बंद करने की जगह नए विकल्प तलाशने होंगे। बताते चलें कि जर्मनी को अपनी गैस, कोयला और तेल का जरूरत का करीब 60 फीसदी आयात करता है। जर्मन वित्त मंत्री रॉबर्ट हैबेक का कहना है कि उन्होंने रूस से आयात कम करना शुरू कर दिया है। उनके मुताबिक, कुछ दिनों बाद रूस और रूस से आने वाले तेल पर जर्मनी की निर्भरता करीब 25 फीसदी कम हो जाएगी।

आने वाली सर्दी तक रूस के कोयले और तेल से मुक्त होने की योजना पर जर्मनी ने काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि, ​​गैस खरीदने के मामले में अगले दो साल तक कोई विशेष अंतर नहीं आने वाला है। जर्मनी में रूस से आने वाली करीब 36 फीसदी गैस का इस्तेमाल उद्योगों में होता है। इसके अलावा घरों में 31 फीसदी और अन्य जगहों पर 13 फीसदी काम होता है।