रायपुर। एचआइवी (एड्स) की जागरूकता के लिए पूरी दुनिया में एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। किसी समय जानलेवा मानी जाने वाली इस बीमारी को अब दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है और मरीज भी आम जिंदगी जी सकता है। यह बीमारी छुआ-छूत से नहीं फैलती है। इसकी जागरूकता की वजह से बीमारी को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली है और सरकार व स्वास्थ्य विभाग भी लगातार विभिन्न कार्यक्रम चलाकर इस बीमारी को काबू करने में लगा हुआ है।

एचआईवी मरीजों की पहचान के लिए साल 2021 में अप्रैल से अक्टूबर तक 5.33 लाख से अधिक सैंपल लिए गए, जिसमें कुल 1208 एचआइवी मरीज सामने आए। जबकि पिछले कोरोना काल में इनती ही अवधि में 4.64 लाख से अधिक सैंपल जांच में 1160 एचआइवी मरीज मिले थे। बढ़ते वर्ष के साथ ही एचआइवी मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। मरीजों को बेहतर जांच व इलाज की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कोरबा, राजनांदगांव व रायगढ़ में तीन नए एआरटी सेंटर खोले गए हैं।

विभाग ने बताया कि वहीं दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर में पहले से ही एआरटी सेंटर खुले हैं। एम्स और रिम्स मेडिकल कालेज रायपुर में भी सेंटर के माध्यम से जांच, इलाज व निश्शुल्क दवाओं की सुविधाएं दी जा रही है। हालांकि, इसके बावजूद यह बीमारी अभी भी तेजी से साल दर साल बढ़ रही है और नए मरीज सामने आ रहे हैं। एचआईवी से संक्रमित मरीजों को बुखार, पसीना आना, ठंड लगना, थकान, भूख कम लगना, वजन घटना, उल्टी आना, गले में खराश रहना, दस्त होना, खांसी होना, सांस लेने में समस्या, शरीर पर चकत्ते होना, त्वचा संबंधी परेशानियां आदि होती हैं।

बताते चलें कि एचआइवी संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बनाने, संक्रमित खून चढ़ाने, एचआइवी पाजिटिव महिला से उसके बच्चे को, एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई इस बीमारी के संक्रमित किसी मरीज को लगाए जाने के बाद दूसरे को लगाए जाने पर एचआइवी होता है।

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