रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 22 जनवरी को अपने निवास कार्यालय में आयोजित गोधन न्याय योजना के राशि अंतरण कार्यक्रम में पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 4 करोड़ 21 लाख रुपए की राशि ऑनलाइन जारी करेंगे, जिसमें 1 जनवरी से 15 जनवरी 2022 तक राज्य के गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से गोधन न्याय योजना के तहत क्रय किए गए गोबर के एवज में 2 करोड़ 76 लाख रुपए भुगतान तथा गौठान समितियों को 87 लाख और महिला समूहों को 58 लाख रूपए की लाभांश राशि शामिल हैं।

यहां यह उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में ग्रामीणों से 2 रुपए की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। राज्य में इस योजना की शुरूआत 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व से हुई थी। 20 जुलाई 2020 से लेकर 31 दिसम्बर तक की स्थिति में 54.64 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है, जिसके एवज में गोबर बेचने वालों को 119.41 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है। 22 जनवरी को गोबर विक्रेताओं को 2 करोड़ 76 लाख रुपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 122.17 करोड़ रुपए हो जाएगा। गौठान समितियों को अब तक 44.43 करोड़ रुपए तथा महिला स्व-सहायता समूहों 28.88 करोड़ रुपए राशि लाभांश के रूप में दी जा चुकी है।

गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा 10 लाख 38 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 4 लाख 36 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों एवं किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 50 करोड़ 57 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 11,463 महिला स्व सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 77,125 है। गौठानों से जुड़ने और गोधन न्याय योजना से महिला समूहों में स्वावलंबन के प्रति एक नया आत्मविश्वास जगा है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए कुमारप्पा नेशनल पेपर इंस्टिट्यूट जयपुर, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के मध्य एमओयू हो चुका है।