नई दिल्ली। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के इस बार जारी राशि के क्रियान्वयन के दौरान बड़ी गलती हो गई। 10वीं किस्त के तहत जारी राशि अपात्रों के खाते में चली गई है। पर अब इन लाखों किसानों को पीएम योजना की राशि लौटानी होगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार जो राशि पहुंची है देश के वे किसान इस योजना का लाभ नहीं ले सकते। बता दें कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत बीती 1 जनवरी को किसानों के खातों में 10वीं किस्त की रकम डाली गई थी, लेकिन एक जांच रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 7 लाख से ज्यादा अपात्र किसानों के खातों में ये रकम पहुंची है। ऐसे में इन किसानों को ये रकम लौटानी पड़ सकती है।

ये किसान हैं उत्तर प्रदेश के
राशि जारी होने के बाद जांच रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि ये किसान उत्तर प्रदेश से हैं। यानी उत्तर प्रदेश में 7 लाख से अधिक अपात्रों को किसान सम्मान निधि योजना की 10वीं किस्त के तहत मिले रुपए वापस करना होगा। रिपोर्ट अनुसार उत्तर प्रदेश के इन किसानों के कई स्रोतों से कमाई के लिए आयकर का भुगतान करते हैं। इसलिए पीएम किसान योजना के तहत नकद लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं।

6000 रुपये हर साल
इस योजना की शर्तों के अनुसार 6000 रुपये प्रति वर्ष की राशि लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे 2000 रुपये की तीन किस्तों के जरिए जारी होती है। नियमानुसार जिन किसानों के खाते में इस योजना के तहत राशि पहुंची है और वे अपात्र पाए जाते हैं तो उन्हें पैसा वापस करना होगा।

विधानसभा चुनाव के बाद की जाएगी प्रक्रिया
जानकारी दी गई है कि इन 7 लाख से ज्यादा किसानों के पास पैसे लौटाने का समय कम है। इस तरह के अपात्र लाभार्थियों राज्य विधानसभा चुनाव खत्म होने तक पैसे वापस करने होंगे। उन्हें स्वेच्छा से पैसा वापस करने होंगे या फिर वसूली के लिए नोटिस दिया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी भी संभावना है कि अगर अपात्र किसान समय पर पैसा नहीं लौटाते हैं, तो केंद्र सरकार उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

न्यूनतम आय में सहायता के लिए दी जाती है राशि
प्रधानमंत्री मोदी ने 1 जनवरी को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 10वीं किस्त जारी की थी। केंद्र सरकार द्वारा फरवरी 2019 में शुरू की गई पीएम किसान योजना के तहत, पात्र किसानों को न्यूनतम आय सहायता के रूप में तीन किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये तक प्रदान किए जाते हैं।

यूपी में हैं 2.50 करोड़ किसान
लाभार्थियों की संख्या उत्तर प्रदेश में लगभग 2.50 करोड़ के साथ सबसे अधिक है। रिपोर्ट में नाम न छापने की शर्त पर उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। लेकिन सरकार को केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पात्र किसान ही पीएम-किसान के तहत लाभ प्राप्त करें।

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