रायपुर। एक ओर जहां प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एम्स अस्पताल प्रबंधन के मनमाने रवैया और समस्याओं के समाधान नहीं होने से और लगातार हो रही उपेक्षा से नाराज हास्पिटल अटेडेंट ने अस्पताल प्रबंधन के ही खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हॉस्पिटल अटेंडेंट बुधवार को काली पट्टी बांधकर काम किया।

एम्स अस्पताल प्रशासन के मनमानी रवैये के खिलाफ नियमित हॉस्पिटल अटेंडेंट ने मोर्चा खोल दिया है। 28 दिसंबर 2021 को एम्स के डायरेक्टर डा. नितिम एम नागरकर को दिए गए पत्र के अनुसार सभी अस्पताल परिचारक ने 13 जनवरी 2022 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का सूचना दी है। उस कड़ी में बुधवार 12 जनवरी 2022 को सभी नियमित हॉस्पिटल अटेंडेंट ने बाजू पर काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपना विरोध जताया। बतादें कि अगर कल से सभी नियमित हॉस्पिटल अटेंडेंट हड़ताल पर जाते हैं तो कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर होगा

एम्स में कार्यरत हॉस्पिटल अटेंडेंट हनुमान, अमित, शशिकांत, अरुण नवीन, हिमांशु , भारत भूषण और अन्य कर्मचारियों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन हमारे छह सूत्रीय मांग को पूरा करने में विफल रहा है और अपने मनमाने तरीके से सरकारी नियमों को ताक पर रखकर अस्पताल चलाना चाहते हैं। उसी के खिलाफ सभी अस्पताल परिचारक ने शांतिपूर्ण विरोध करने का फैसला लिया है।

यह है प्रमुख मांगें
1. देश के अन्य एम्स और भारत सरकार के अन्य अस्पतालों में शिफ्ट ड्यूटी में अस्पताल परिचारक को आठ दिवस प्रति महीना अवकाश प्रदान किया जाता है, जबकि रायपुर एम्म में मात्र चार दिनों का प्रति महीना अवकाश दिया जा रहा है।
2. सरकारी कर्मचारी को एक सप्ताह में अधिकतम 40 घंटे से लेकर 42.5 घंटे से अधिक ड्यूटी नहीं करवाई जाती, जबकि रायपुर एम्मस में 48 से 52 घंटे प्रति सप्ताह बिना लंच समय में ड्यूटी कराई जाती है।
3. अब तक वार्षिक वर्दी भत्ता ना दिया जाना
4. अस्पताल रोगी देखभाल भत्ता का पूर्व बकाया एरियर का भुगतान ना दिया जाना।
5. किसी भी नियमित अस्पताल परिचारक को समय पर छुट्टी न देना, छुट्टी मांगने पर रिलीवर लेकर आने का बोला जाना, अगर आपातकालीन स्थिति होने पर वह अपने घर चले जाने पर ओर उचित कारण बताने के बावजूद सैलरी काटना और कारण बताओ नोटिस जारी करना आदि अपनी तरफ से बेवजह परेशान करना।
6. केंद्र सरकार द्वारा अन्य सुविधा ओर भत्ते जो बाकी एम्स संस्थानों में दिया जा रहा है पर रायपुर एम्स में नहीं दिया जा रहा है।

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