दुर्ग। जिले के गांव कितने साफ है जल्द ही इसकी तस्वीर सामने आएगी। जिले के 22 गावों में केन्द्रीय टीम ने सर्वे पूरा कर लिया है। सर्वे टीम ने इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था लेकर अलग अलग मापदंडों के लिए अंक निर्धारित किए। कुल 1000 अंकों के लिए यह सर्वे हुआ। इस दौरान केन्द्रीय सर्वे टीम ने दुर्ग जिले के 22 पंचायतों का दौरा किया।

जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए एक हजार अंक रखे गये हैं। इनमें से 350 अंक स्वच्छता को लेकर बनाए गए इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हैं। वहीं ग्रामीण स्तर पर फीडबैक के लिए 350 अंक निधारित किए गए हैं। इसी प्रकार टीम द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे के दौरान जो देखा है उसके लिए 300 अंक निर्धारित किए गए हैं। सीईओ देवांगन ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे पूरा होने के बाद जल्द ही नतीजे सामने आएंग। उन्होंने कहा कि हमारे जिले में ग्रामीण स्तर पर स्वच्छता को लेकर मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया गया है जिसका फायदा मिलेगा।

गावों में डोर टू डोर कलेक्शन
सीईओ देवांगन ने बताया कि दुर्ग में 100 से अधिक ग्राम पंचायतों में डोर डू डोर कलेक्शन और वेस्ट मैनेजमेंट प्लान चल रहा है। रिक्शों के माध्यम से स्वच्छताग्राही कलेक्शन कर रहे हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय अपेक्षा करता है कि कम से कम 5 प्रतिशत गांवों में ऐसा हो, दुर्ग में यह 25 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत शौचालयों के लिहाज से  दुर्ग जिला काफी बेहतर है। पांचवें नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के नतीजों के अनुसार दुर्ग में 89.5 प्रतिशत व्यक्तिगत शौचालय का यूटिलाइजेशन पाया गया है। इसके अलावा  दुर्ग जिले में 196 गांवों में सैनिटरी नैपकिन का सेल्फ डिस्पोजल महिलाएं कर रही हैं इसकी ट्रेनिंग दी जा चुकी है और यह प्रैक्टिस में आ चुका है। तीन हजार से अधिक स्वच्छताग्राही हर दिन सुबह-सुबह साफसफाई का कार्य भी करते हैं और लोगों से स्वच्छता की अपील भी करते हैं। यही नहीं लिक्विड मैनेजमेंट को लेकर भी शानदार काम हो रहा है। घुघुवा पंचायत को ही लें, यहां हाल ही में लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट का बड़ा सेंटर तैयार किया गया है। पूरे गांव का ड्रेनेज सिस्टम इससे बेहतर हो गया है।

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