नई दिल्ली। दो साल से कोरोना महामारी की वजह से उद्योग जगत पर काफी मार पड़ी है। इससे बेरोजगारी बढ़ने से लोग हलकान हैं। ऐसे में सरकार को ऐसी योजनाओं की घोषणा करनी चाहिए, जिससे समाज के सबसे कम आय वर्ग के लोगों की खपत बढ़ सके। निर्यात पर भी ध्यान देना होगा।

लंबे समय से कोरोना की मार झेल रहे उद्योग जगत को केंद्र की बजट से काफी उम्मीदें हैं। खासकर होटल, पर्टयन, विमानन सहित छोटे एवं मझोले उद्योगों के लिए कई घोषणाएं हो सकती हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ का कहना है कि भारत को बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से चिकित्सा बुनियादी ढांचे में निवेश करना जारी रखना चाहिए।

सरकार को ऐसी योजनओं की घोषणा करनी चाहिए, जिससे समाज के सबसे कम आय वर्ग के लोगों की खपत बढ़ सके। निर्यात पर भी ध्यान देना होगा। निर्यातकों के लिए दोहरी कर कटौती योजना मालवहन की लागत बढ़ने और वैश्विक पोत परिवहन कंपनियों पर निर्भरता होने से निर्यात क्षेत्र गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है।

निर्यातकों और खासकर एमएसएमई के लिए विदेशी बाजार बड़ी चुनौती बने हुए हैं। अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दोहरी कर कटौती योजना लाने की जरूरत है, जिसमें पांच लाख रुपये की आय सीमा रखी जाए। पूरे विश्व में कोरोना महामारी की वजह से हर वर्ग परेशान है। भारत में भी इसकी मार पड़ी है। खासकर लघु उद्योगों पर बड़ा असर पड़ा है। यह उद्योग धंधे पूरी तरह से ठप की स्थिति में हैं। इस वजह से भारत में बेरोजगारी की दर बढ़ी है। लोग अपने परिवार को पालने के लिए काफी मशक्कत कर रहे हैं। ऐसे में इस वजट पर सब की निगाह है।

एमएसएमई को पिछले साल की तरह मिल सकती है सौगात
पिछले साल के बजट में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों ( एमएसएमई ) को सहयोग और प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए गए थे। क्षेत्र के लिए सरकार ने 15,700 करोड़ का बजट दिया था। इस साल भी क्षेत्र के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। इनमें करों का सरलीकरण, फंडिंग के अवसर, स्टार्टअप के लिए ऋण सुविधाओं में सुधार, अनुमोदन और लाइसेंस के लिए आसान प्रक्रियाएं आदि।