नई दिल्ली। देश में साइबर क्राइम में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। उसके बाद भी कई राज्यों में अब भी साइबर क्राइम सेल तक नहीं है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में साइबर क्राइम 11 फीसदी बढ़े हैं। यह जानकारी गृह मंत्रालय ने संसदीय समिति को यह जानकारी दी है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में वर्ष 2017 में 21,796 साइबर अपराध दर्ज हुए थे। 2020 तक आते-आते ये बढ़कर 50,035 तक पहुंच गए।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय ने कहा कि राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में वर्ष 2017 में 21,796 साइबर अपराध दर्ज हुए थे। इसके बाद 2018 में 27,248 केस हुए, 2019 में 44,735 और 2020 तक आते-आते तो ये बढ़कर 50,035 तक पहुंच गए। 2019 के मुकाबले इनमें 11.8 फीसदी बढ़ोतरी हुई।

इसमें देखा गया है कि 60 फीसदी धोखाधड़ी से जुड़े क्राइम शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार इस श्रेणी में अपराध दर 2019 में 3.3 फीसदी थी, जो 2020 में बढ़कर 3.7 फीसदी हो गई। धोखाधड़ी से जुड़े साइबर अपराधों की संख्या 2020 में कुल साइबर क्राइम 50,035 में से 30,142 रही। 2020 में दर्ज साइबर अपराधों में से 60.2 फीसदी का उद्देश्य धोखाधड़ी करना था।

साइबर अपराधों में दूसरा स्थान यौन शोषण का रहा। यौन शोषण से जुड़े साइबर अपराध की कुल साइबर अपराध में हिस्सेदारी 6.6 फीसदी रही। इससे जुड़े 3293 केस दर्ज किए गए। वहीं फिरौती से जुड़े मामले 4.9 फीसदी रहे। फिरौती से जुड़े 2440 साइबर अपराध दर्ज किए गए।

इन राज्यों में नहीं है साइबर अपराध प्रकोष्ठ
देश में साइबर अपराध बढ़ने पर संसदीय समिति ने चिंता जताई। समिति ने कहा कि जहां साइबर अपराधियों द्वारा अपराध के नए नए तरीके अपनाए जा रहे हैं वहीं पुलिस का रवैया सुस्त है। समिति ने पाया है कि पंजाब, राजस्थान, गोवा व असम में एक भी साइबर क्राइम सेल तक नहीं है। वहीं आंध्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश सिर्फ एक या दो साइबर अपराध प्रकोष्ठ हैं।

समिति ने मंत्रालय से कहा है कि वह सभी राज्यों के सभी जिलों में पुलिस साइबर प्रकोष्ठ बनाने की सिफारिश करे। राज्यों को अपने यहां साइबर अपराध के हॉटस्पॉट तलाश करना चाहिए, ताकि अपराधियों पर लगाम लगाई जा सके।

साइबर प्रकोष्ठों को करें उन्नत
समिति ने इसके अलावा ये सुझाव दिए कि मौजूदा साइबर प्रकोष्ठों को उन्नत बनाने, डार्क वेब निगरानी प्रकोष्ठ और सोशल मीडिया निगरानी प्रकोष्ठ बनाया जाए। समिति ने कहा कि पुलिस में परंपरागत भर्ती के साथ ही तकनीकी स्टाफ की भर्ती भी जरूरी है। सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली इस समिति ने पुलिस प्रशिक्षण, पुलिस आधुनिकीकरण व सुधारों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट पेश की है।