सीना डेस्क। सिकंदरा बाद में आज दो ट्रेनों की आमने-सामने टक्कर होने से बची। एक ट्रेन में स्वयं रेलमंत्री अश्वनि वैष्णव सवार थे। सामने आ रही ट्रेन को से टकराने से लगभग 400 मीटर पहले दूसरी ट्रेन रुक गई जिससे यह हादसा टला। इस प्रकार एक बड़ा हादसा होने से बच गया। दरअसल यह सब सिकंदराबाद में स्वदेशी तकनीक कवच के ट्रायल के दौरान हुआ।

भारतीय रेलवे ने सुरक्षा को लेकर एक नई शुरुआत की है। तेलंगाना के सिकंदराबाद में ट्रेनों के बीच कवच का परीक्षण किया गया। एक ट्रेन के इंजन पर रेल मंत्री वैष्णव सवार थे तो सामने से आ रही दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन व अन्य बड़े अधिकारी। रेलमंत्री ने अश्विनी वैष्णव ने इस परीक्षण का एक मिनट का वीडियो साझा किया है। इसमें इंजन के कैबिन में रेल मंत्री वैष्णव व अन्य अधिकारी दिखाई दे रहे हैं।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस सफल परीक्षण के बाद ट्वीट किया है कि रियर-एंड टक्कर परीक्षण सफल रहा है। कवच ने अन्य लोको से 380 मीटर पहले लोको को स्वचालित रूप से रोक दिया। कवच ऐसी स्वदेशी तकनीक है, जिसके इस्तेमाल से दो ट्रेनों की टक्कर रोकी जा सकेगी। यह दुनिया की सबसे सस्ती रेल सुरक्षा तकनीक है। ट्रेन एक्सीडेंट को रोकने के लिए यह तकनीक काफी कारगर साबित होगी।

बजट में हुई थी घोषणा

स्वदेशी तकनीक कवच के अमल की घोषणा इस बार बजट में की गई थी। इसके तहत दो हजार किलोमीटर के रेलवे नेटवर्क को कवच तकनीक के दायरे में लाया जाएगा। दक्षिण मध्य रेलवे की चल रही परियोजनाओं में कवच को 1098 किमी से अधिक मार्ग और 65 इंजनों पर लगाया जा चुका। पहले चरण में इस तकनीक को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा कॉरिडोर पर लागू करने की योजना

जानें कवच सुरक्षा से जुड़ी खास बातें

  • यह पूरी तरह भारत में बनी तकनीक स्वचलित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है।
  • कवच के इस्तेमाल से आपात स्थिति में ट्रेन अपने आप ही रुक जाएगी।
  • डिजिटल सिस्टम को रेड सिग्नल या अन्य कोई गलती दिखता है, तो इस तकनीक से ट्रेन अपने आप रुक जाती है।
  • इस तकनीक को लागू करने के बाद प्रति किलोमीटर 50 लाख रुपये का खर्च आएगा।
  • लोको पायलट अगर ट्रेन को रोकने में विफल होता है तब ‘कवच’ तकनीक के जरिए ट्रेन के ब्रेक लग जाते हैं।
  • कवच तकनीक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन पर काम करती है।
  • यह तकनीक सुरक्षा मानक SIL-4 (सिस्टम इंटिग्रेटी लेवल-4) की भी पुष्टि करती है।