cinanews.in

नई दिल्ली। कोरोना अनुग्रह राशि पाने के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना भारी पड़ सकता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर लोग नहीं मानते हैं तो वह सीएजी द्वारा इसकी जांच का आदेश दे सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर कोरोना के कारण मौत के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि प्राप्त करने के अपने आदेश के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि अगर लोग इस फर्जीवाड़ा से बाज नहीं आए तो वह सीएजी द्वारा इसकी जांच का आदेश दे सकता है।

अदालत ने इसपर रोक लगाने के लिए मांगा सुझाव
शीर्ष अदालत ने फर्जी कोरोना मृत्यु प्रमाण पत्र पर अंकुश लगाने के लिए सुझाव मांगा है। बता दें कि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने फर्जी कोरोना प्रमाणपत्र या नकली दावों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने पीठ से कहा कि कोर्ट के आदेश के अनुसार फिलहाल डाक्टरों द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर ही यह अनुग्रह राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे कई लोग कोर्ट के आदेश का नाजायज फायदा उठा रहे हैं और डॉक्टर को पैसे देकर फर्जी प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं।

इससे पहले सात मार्च को भी सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी चिंता
बता दें कि इससे पहले सात मार्च को भी इसपर सुनवाई हुई थी और इस दौरान न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने चिंता जताई थी। पीठ ने कहा था कि मुआवजे की मांग करने वाले दावों के लिए कुछ समय-सीमा होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि यह चिंता की बात है कि डॉक्टरों की ओर से कोरोना मृतकों के फर्जी प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं। यह बहुत गंभीर बात है और इसपर जितनी जल्द हो सके समाधान की जरूरत है।

बता दें कि मामले में इसकी शिकायतें मिल रही है। फर्जी सर्टिफिकेट से शासन के पैसे का दुरूपयोग हो सकता है। इसलिए कोर्ट ने इस पर चिंता जाहिर की है।