रायपुर। महाशिवरात्रि के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के प्रयाग को बड़ी सौगात दी है। सीएम बघेल ने यहां संगम में बने लक्ष्मण झूला का लोकार्पण किया। इसके साथ ही राजिम के लोगों की सालों की प्रतिक्षा पर विराम लग गया। इस नव नर्मित संस्पेशन ब्रिज (लक्ष्मण झूला) के बनने से अब बारिश की बाधा में भी लोग कुलेश्वर महादेव के दर्शन कर सकेंगे।

लक्ष्मण झूला का लोकार्पण करते सीएम भूपेश बघेल

बता दें कि महाशिवरात्रि के साथ ही 15 दिवसीय राजिम माघी पुन्नी मेले का समापन होना है। सीएम भुपेश बघेल यहां शाम को ही पहुंच गए। उन्होंने संस्पेशन ब्रिज (लक्ष्मण झूला) का लोकार्पण करने के साथ ही ब्रिज से होते हुए कुलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे और भगवान शिव के दर्शन किए। समापन के मौके पर यहां देर रात तक कार्यक्रम होंगे।

जाने क्या है संस्पेशन ब्रिज (लक्ष्मण झूला) के फायदे
मान्यता है कि कुलेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना वनवास के समय स्वयं माता सीता ने किया था। मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम राजिम पहुंचे थे और उसके बाद वह यहां से दंडकारण्य होते हुए आगे बढ़े। धार्मिक मान्यता के मुताबिक नदी के किनारे भगवान राम को अपने कुलदेवता महादेव शिव की पूजा करनी थी। इसी के लिए सीता माता ने शिवलिंग बनाया था। 12 सौ साल पहले शिवलिंग के पास मंदिर का निर्माण किया गया।

बाड़ के कारण बारिश में नहीं हो पाते दर्शन
कुलेश्वर महादेव के मंदिर में बारिश के दौरान दर्शन नहीं हो पाते। सावन के माहीने में जल चढ़ाने श्रद्धालुओं का नाव के सहारे मंदिर तक पहुंचना पड़ता है। 12 सौ साल पहले नदी के बीचो-बीच बना बना यह मंदिर आज भी  बारिश के समय बाढ़ का पानी झेलता है। लेकिन इस मंदिर को आज तक नुकसान नहीं पहुंचा। बारिश के दौरान इस मंदिर में आसान पहुंच के लिए ही लक्ष्मण झूला का निर्माण किया गया जिसका आज सीएम भूपेश बघेल ने लोकार्पण किया है।

श्रद्धालुओं के लिए महादेव का दर्शन होगा आसान
राजिम में इस ब्रिज के निर्माण से श्रद्धालुओं के लिए कुलेश्वर महादेव के दर्शन सुलभ हो जांएगे। सावन माह में बारिश के कारण संगम जलमग्न रहता है। ब्रिज के निर्माण से संगम जलमग्न होने के बाद भी लोग आसानी से कुलेश्वर महादेव के मंदिर में जल चढ़ा सकेंगे।संगम मे यह ब्रिज राजीवलोचन मंदिर से कुलेश्वर महादेव मंदिर एवं लोमश ऋषि आश्रम तक बनाया गया है। इसका डिजाइज ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर बनाया गया इसलिए इसे राजिम का लक्ष्मण झूला कहा जा रहा है।