भिलाई। विश्व वन्य जीव संरक्षण दिवस के अवसर पर पर्यावरण मित्र मंडल के सदस्य गुरुवार को इकट्ठे हुए। जहां वन्यजीवों की सुरक्षा और वनस्पतियों की लुप्त प्रजाति को बचाए रखने पर मंत्रणा की गई। वहीं लोगों में जागरूकता अभियान चलाया गया।

पर्यावरण संरक्षण प्रकृति प्रेमी प्रशांत कुमार क्षीरसागर ने बताया संगठन का प्रमुख उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना है। वनस्पतियों की लुप्त होती प्रजाति को बचाए रखने के लिए उनकी मानव जीवन में महत्ता को रेखांकित किया जा रहा है।

क्षीरसागर ने कहा जागरूकता में हम लोगों को इस बात से अवगत करा रहे हैं, समझा रहे हैं कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव-जंतु, पेड़-पौधे, जंगली पशु व कई तरह के पक्षी प्रकृति के जीवन चक्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इन सभी से मानव जीवन जुड़ा हुआ है। यहीं से हमें खाद्य पदार्थ से लेकर जीवन चलाने के लिए कई तरह की चीजें मिलती है।

प्रकृति प्रेमी प्रशांत कुमार क्षीरसागर ने बताया कि 3 मार्च 2014 में पहला वन्य दिवस मनाकर आम लोगों को वन्य जीवों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराया गया था। बता दें कि वनों से हमें अनेक तरह की औषधियां प्राप्त होती है। इससे शारीरिक तकलीफ दूर करते हैं।

क्षीरसागर ने बताया कि इस दिवस के अपलक्ष्य में दुनिया भर की सरकारें हर साल कई थीम प्रोजेक्ट और कई तरह की जागरूकता अभियान चलाती है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम करने की सराहना की है। 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 3 सत्र राष्ट्र अधिवेशन तय हुआ कि हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाएगा। इसलिए 3 मार्च 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया।

वन्य दिवस पर 2020 में घोषणा की गई कि वन्यजीव दिवस पर पृथ्वी के सभी जीव-जंतुओं को नुकसान न पहुंचे इसका ध्यान रखने की घोषणा की गई। 2019 को युवाओं ने आवाज सुनो के तहत 2019 में पानी के नीचे जीवों के संरक्षण पर पहल की गई। 2021 में थीम के तहत विलुप्त हो रहे वन्य जीव, वनस्पति की प्रजातियों की सुरक्षा के लिए जागरूकता पैदा करना अभियान की शुरुआत की गई। वहीं पेड़ों की दयनीय स्थिति को देखते हुए विश्व वन्य संरक्षण दिवस मनाने का संकल्प लिया गया।

संगठन ने बताया कि वनों के जीव जंतु और वनस्पति की अनेक प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर है। 900 से ज्यादा दुर्लभ प्रजाति खतरे में है। इसमें भारत का स्थान सातवें नंबर पर हैं। विश्व धरोहर को गवाने के बाद दुनिया के देशों में भारत का चीन के बाद सातवें स्थान पर है।

इस दौरान पर्यावरण मित्र मंडल के जागरूकता अभियान में टिंकू सहारे, बालूराम वर्मा, डॉ. दिलीप शर्मा, रूद्र शिव सागर, पीयूष शिव सागर, संतोष पराशर, संजय ढोल आदि सदस्य मौजूद थे।