महासमुंद। जिले में गौरैय्या चिड़िया के सरंक्षण का अनूठा प्रयास देखने को मिला। वन विभाग द्वारा यहां गौरैय्या चिड़िया के लिए घोंसला बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आज जिले के वन चेतना केन्द्र में आयोजित एक कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने घोंसले बनाए। इन घोंसलों को जरूरत के अनुसार लोगों को दिया जाएगा ताकि गोरैय्या इस आसियाने में रह सके।

बता दें गर्मी की आहट के साथ ही गौरैय्या चिड़िया ज्यादातर समय अपने घोंसलों में बिताना पसंद करती है। अत्याधिक गर्मी के कारण वे पेड़ों पर घोंसले बनाते है। वन विभाग द्वारा इसके लिए बड़ी संख्या में घोंसले तैयार करवाए गए। इन घोंसलों को घर आंगन में ऊंचाई वाले स्थलों पर लटकाने की अपील भी की जा रही है। आज जिले के वन चेनता केन्द्र में मोर चिरैय्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में पहुंचे कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर ने कहा कि आंगन व पार्कों में नींबू, अमरूद, कनेर, चांदनी आदि के पेड़ लगाएं। इन पेड़ों पर गौरैया अपना आशियाना बनाती है। उन्होंने कहा कि अब घरों के आस पास गौरैया की मधुर चींचीं की आवाज भी सुनने को नहीं मिल रही। क्योंकि गांव, शहर में क्रांकीट के मकान और मोबाईल टॉवर से निकलने वाली तरंगे गौरैया चिड़िया एवं अन्य पक्षियों के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही है।

कार्यक्रम के दौरान वनमण्डलाधिकारी पंकज राजपूत ने कहा कि विद्यार्थियों को चिड़ियों की जानकारी व घोंसला बनाने का प्रशिक्षण देना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। वर्तमान में गौरैया के विलुप्त होने का मुख्य कारणों घर की बनावट है। पहले घरों की छतें खपरैल और मिट्टी की होती थीए जिस पर ये चिड़िया अपना घोसला आसानी से बना लेती थी। किंतु अब शहरों के साथ.साथ गांवों में भी देखने को कम मिलता है।

इस दौरान वनमण्डलाधिकारी ने बच्चों को घोंसला बनाने की सामग्री दी और उन्हें घोंसला बनाने का प्रशिक्षण भी दिया। विद्यार्थियों के संग कलेक्टरए एसपी और सीईओ ने भी घोंसला बनाने की विधि सीखी और घोंसला बनाया। विद्यार्थियों ने भी पूरे उत्साह के साथ घोसला बनाने की कला सीखी और अपने घरों में गौरैया चिड़िया के लिए सभी जरूरी व्यवस्था दाना.पानी सुरक्षित स्थान पर रखने का संकल्प लिया।