रायपुर। राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा में 12 साल पहले हुए नक्सली हमले की रिपोर्ट आज विधानसभा में पेश किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जस्टिस शंभुनाथ श्रीवास्तव द्वारा की गई न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में रखी। रिपोर्ट में मुताबिक मदनवाड़ा कांड में निलंबित IPS मुकेश गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जिस दिन यह कांड हुआ उस दिन आईपीएस मुकेश गुप्ता बुलेट प्रूफ गाड़ी में बैठे रहे।

आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि उस समय पुलिस के पास सीआरपीएफ अथवा सीएएफ को बुलाने का पर्याप्त समय था। आयोग की रिपोर्ट आईपीएस मुकेश गुप्ता भूमिका पर कहा कि उन्होंने एसपी विनोद चौबे को नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए भेज दिया। गवाहों से यह स्पष्ट हुआ कि तात्कालीन आईजी जोन मुकेश गुप्ता अपनी बुलेटप्रूफ कार में बैठे रहे इस दौरान उन्होंने कुछ भी नहीं किया।

सीएम बघेल द्वारा रखी गई आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि उस घटना में नक्सलियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। पुलिस की ओर से फायरिंग नहीं की गई। यदि फायरिंग होती तो उनके ओर से भी मौतें होती। रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ गवाहों ने दावा किया है कि उन्होंने नक्सलियों पर गोली चलाई, लेकिन उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। यह बातें अविश्वनीय हैं।

मानपुर के पास 8 घंटे मौजूद रहे आईपीएस गुप्ता

विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार मुकेश गुप्ता घटना क्षेत्र में लगभग 8 घंटे मौजूद रहे। नक्सलियों ने हमले की एक सीडी भी बनाई थी। सीडी में दिखाया गया  कि 29 अफसरों और जवानों की हत्या करने व शहीदों के शवों के पास से सामान लूटने के बाद नक्सली उत्सव मना रहे हैं। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि यह सीडी आईपीएम मुकेश गुप्ता की लापरवाही को दिखाने के लिए काफी है।

नक्सलियों को थी पुलिस मुवमेंट की जानकारी

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नक्सलियों को पुलिस मुवमेंट की जानकारी पहले से थी। नक्सली पुलिस का वायरलेस मैसेज इंटरसेप्ट कर रहे थे। जांच में आया कि मदनवाड़ा के एम्बुश के बाद नक्सलियों ने पुलिस का एक मैसेज पकड़ा। उसके बाद उन्होंने कोरकोट्‌टी गांव में एक एम्बुश लगाया। मोटरसाइकिल पर मदनवाड़ा की ओर जाने के लिए निकले पुलिसकर्मी आसानी से उनकी गोलियों का शिकार बन गए।

एसआईबी  व खुफिया विभाग ने दी थी जानकारी

आयोग की जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एसआईबी और खुफिया विभाग ने मानपुर, मदनवाड़ा क्षेत्र में भारी मात्रा में नक्सलियों के जमावड़े की सूचना दी थी। आईजी जोन को इसकी सूचना मिलने के बाद भी उस क्षेत्र में पुलिस ऑपरेशन की कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई। जिसके कारण एसपी विनोद चौबे सहित हमारे कई जवानों को शहीद होना पड़ा।