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रायपुर। राजधानी के कैलाशपुरी स्थित महराजगंज सड़क चौड़ीकरण में बाधा बन रहे दो मकानों को तोड़ने पहुंची निगम को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई। इस मामले में मंगलवार रात 9.30 बजे हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जारिए इमरजेंसी सुनवाई की और निगम से तोड़फोड़ से संबंधित दस्तावेज मांगे। निगम के अफसर नहीं दिखा पाए। इस मामले हाईकोर्ट ने तत्काल निगम को कार्रवाई करने से रोक दिया।

मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को नगर निगम का अमला कैलाशपुरी में सड़क चौड़ीकरण में बाधा बन रहे दोनों मकानों को तोड़ने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस के साथ मौके पहुंच गया। निगम अमने ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। पीडित परिवारों ने आदेश दिखाने कहा लेकिन किसी ने कोई आदेश नहीं दिखाया। इसके मकान मालिक अविनाश साहू ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट से गुहार लगाई।

पीड़ित ने हाई कोर्ट के जस्टिस को नगर निगम और जिला प्रशासन की इस एकतरफा कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की। मौके की नजाकत को समझते हुए हाईकोर्ट ने उनके आवेदन पर रात 9:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की। हाईकोर्ट ने निगम अफसरों को उक्त जमीन से संबंधित दस्तावेज दिखाने कहा। निगम के अफसरों का दावा है यह जमीन सरकारी है जिसपर कब्जा किया गया है।

हाईकोर्ट ने जब दस्तावेज दिखाने कहा तो वह नहीं दिखा पाए। इसके बाद हाईकोर्ट ने निगम के अफसरों को फटकार लगाते हुए कार्रवाई पर तुरंत रोक लगाई। हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को तय की है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले में निर्णय नहीं हो जाता तब तक उक्त मकानों को तोड़ने या कब्जा हटाने जैसी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

2016 से मिला है स्टे
मकान मालिक अविनाश साहू ने कहा है कि उन्हें इस मामले में 2016 से ही स्टे मिला हुआ है। जिला प्रशासन और निगम की यह कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है। स्टे के खिलाफ निगम का अमला मकानों को तोड़ने पहुंच गया था जिसके खिलाफ पीड़त ने तत्काल आवेदन पेश किया। हाईकार्ट में ऐसे कम ही उद्हारण देखने को मिलते हैं जिसमें इस प्रकार इमरजेंसी सुनवाई की जाती हो। बहरहाल इस मामले में हाईकोर्ट ने त्वरित सुनवाई कर पीड़ित पक्ष को बड़ी राहत दी।